धारा लक्ष्य समाचार रिपोर्ट कुंदन सिंह फतेहपुर बाराबंकी
फतेहपुर बाराबंकी। फतेहपुर ब्लाक में जिनके पास खाद बेचने का लाइसेंस है उनके गोदाम में आलू की बुआई में प्रयोग होने वाली खाद डी ए पी, पोटाश और एन पी के वैसे तो भरी पड़ी है पर हर एक खाद विक्रेता इन खादों को अपने हिसाब से तय किए गए रेट पर बेच रहा है।
ऐसे में किसानों और दुकानदारों से बात करने पर पता चला कि सरकारी खाद के रेट और बाहर के रेट में सैकड़ों रुपयों का अंतर है । जहां डी ए पी का सरकारी मूल्य साढ़े तेरह सौ रुपए निर्धारित है वहीं बाहर यही खाद कही पंद्रह सौ रुपए प्रति बोरी,कही साढ़े पंद्रह सौ रुपए प्रति बोरी और कही कही तो सोलह और साढ़े सोलह सौ रुपए प्रति बोरी के हिसाब से धड़ल्ले से बेची जा रही है। जिस तरह से अभी कुछ दिन पहले यूरिया खाद को लेकर जगह जगह किसान लाइन में लगा हुआ था।
लगभग वैसा ही माहौल फिर तैयार किया जा रहा है और एक अफवाह सी बनाई जा रही है कि जिनको आलू की बुआई करनी है वे अभी से खाद लेकर लगा लें नहीं तो भविष्य में आलू बुआई के समय खाद का टोटा पड़ सकता है।
इस संबंध में हमने जब फतेहपुर ब्लाक में भारतीय किसान यूनियन के वरिष्ठ नेता और किसान राम गोपाल वर्मा से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि सरकार के ढुलमुल रवैए के कारण किसान इतने ऊंचे दामों में खाद लेने के लिए मजबूर हैं। सरकारी शासन प्रशासन सो नहीं रहा उसे सब कुछ पता है लेकिन गैर जिम्मेदाराना तरीके से मनमाने रेट पर खाद बेचने से दुकानदारों पर लगाम लगाने वाला कोई नहीं है।
किसान सब तरफ से परेशान है पहले तो अच्छे भाव में उसका आलू नहीं बिक रहा और अब रही सही कसर आलू बुआई के समय खाद की कीमतों में आई महंगाई ने पूरी कर दी। एक अन्य किसान राम चंदर यादव ने कहा जहां पहले एक बीघा आलू की बुआई में तीन हजार रुपए प्रति बीघा लागत आती थी वह लागत इस साल पांच हजार रुपए प्रति बीघा से ऊपर निकल चुकी है।
युवा किसान नन्हा वर्मा ने कहा आज पूरे फतेहपुर ब्लाक में लगभग सभी किसान पिछले कई सालों से आलू बुआई के समय डी ए पी पोटाश और एन पी के का प्रयोग करते हैं यदि इसकी जगह पर सिंगल सुपर फास्फेट यूरिया और पोटाश का मिश्रण प्रयोग किया जाए तो लागत एक हजार रुपए प्रति बीघा तक कम हो सकती है।
