फसलों को कीट और रोगों से बचाने की पहल
अमेठी। राष्ट्रीय कृषि विकास योजनान्तर्गत कीट/रोग नियंत्रण योजना के अंतर्गत जनपद अमेठी के सभी विकास खंडों में किसानों का चयन कर उन्हें दलहनी एवं तिलहनी फसलों में लगने वाले हानिकारक कीटों और बीमारियों से बचाने हेतु एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन (Integrated Pest Management – IPM) तकनीकों का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है।
IPM तकनीक – बहुआयामी दृष्टिकोण
किसानों को व्यवहारिक, यांत्रिक, जैविक एवं रासायनिक नियंत्रण की संतुलित विधियों का प्रयोग करना सिखाया जा रहा है। इन तकनीकों से न केवल रासायनिक कीटनाशकों पर निर्भरता कम होती है, बल्कि उत्पादन लागत भी घटती है। साथ ही, यह तकनीक मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए सुरक्षित है।
लाभ और प्रभाव
IPM के प्रयोग से किसानों को स्वस्थ एवं मजबूत फसलें प्राप्त हो रही हैं। इससे फसल उत्पादन में वृद्धि, जैव विविधता का संरक्षण और कीटों में प्रतिरोधक क्षमता विकसित होने का जोखिम भी न्यूनतम हो जाता है। यह योजना किसानों के लिए आर्थिक दृष्टि से भी लाभकारी साबित हो रही है।
जिलाधिकारी संजय चौहान (आईएएस) एवं मुख्य विकास अधिकारी सूरज पटेल (आईएएस) ने किसानों को इस तकनीक को अधिक से अधिक अपनाने के लिए प्रेरित किया है ताकि जनपद में दलहनी एवं तिलहनी फसलों का उत्पादन सुरक्षित और सतत रूप से बढ़ सके।
