जिला रिपोर्टर धारा लक्ष्य समाचार पत्र
रायबरेली। विकास खंड डीह की ग्राम पंचायत सिरसी में सफाई व्यवस्था की दुर्दशा देखकर ऐसा लगता है मानो गांव नहीं, गंदगी का ढेर हो। नालियां कचरे से पटी पड़ी हैं, सड़कें बदबू से भर चुकी हैं और ग्रामीण चौबीसों घंटे संक्रामक बीमारियों के खतरे में जी रहे हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि सरकार भले ही स्वच्छता पर करोड़ों रुपये खर्च कर रही हो, लेकिन यहां सफाई कर्मी संतोष कुमार और संबंधित अधिकारियों की मिलीभगत ने योगी सरकार की मंशा को ही ठेंगा दिखा दिया है।
गांव में सफाई कर्मी का दर्शन महीनों से नहीं हुआ, लेकिन कागजों में हाजिरी पक्की और वेतन जारी, यह कैसा सिस्टम है? ग्रामीणों का कहना है कि संतोष कुमार सिर्फ फाइलों में काम करता है, जमीन पर नहीं। ब्लॉक अधिकारी भी उस पर मेहरबान हैं, तभी तो गांव की यह हालत देखकर भी आंखें बंद किए बैठे हैं।
सवाल उठता है, क्या सरकार की योजनाओं को पलीता लगाना इनका पेशा बन गया है? ग्रामीणों ने जिले के शीर्ष अधिकारियों से मांग की है कि
सफाई कर्मी संतोष कुमार की तत्काल जांच कर निलंबन की कार्रवाई की जाए, वरना वे सामूहिक रूप से धरना-प्रदर्शन करने को मजबूर होंगे। सिरसी के हालात चीख-चीखकर बता रहे हैं कि गंदगी से ज्यादा घातक सरकारी लापरवाही है।
