Stori: कोताना में तीन तीन धर्मों की विरासत तथा ऐतिहासिक स्थल शासन प्रशासन की बेरुखी के कारण खंडहरों में हो रहे हैं तब्दील !

धारा लक्ष्य समाचार

••दबंगों द्वारा कब्जाई गई भूमि और धार्मिक व ऐतिहासिक महत्व के स्थलों को भी मुक्त कराए सरकार अनिल शर्मा । जनपद बागपत की पावन भूमि पर यमुना नदी के किनारे हरियाणा प्रांत की आधा किलोमीटर की दूरी पर बसा हुआ है यह गांव कोताना

पाकिस्तान के जनरल मुशर्रफ जिनका कोताना गांव में जन्म हुआ था इनकी मां भी इसी गांव की रहने वाली थी

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बडौत। तहसील क्षेत्र के कोताना गांव की महाभारतकालीन महत्व की भूमि को चार धर्मो की ऐतिहासिक हस्तियों को जन्म देने का गौरव प्राप्त हुआ है। यहीं इतिहास में दर्ज तथा सरधना रियासत पर राज करने वाली और वहां पर ऐतिहासिक चर्च की निर्मात्री बेगम समरू कोताना गांव के एक बड़े घराने में जन्म लेने वाली तथा सर्वधर्म समभाव को जीवंत करने वाली बेटी ने गांव को गौरवान्वित किया है। कोताना वासी सरधना की चर्च को देखकर न केवल गर्व अनुभव करते हैं, बल्कि उनकी बनाई मिसाल को साकार करने में आज भी हर किसी को इसका एहसास भी करा रहे हैं।

कोताना गांव की मिट्टी में ही जन्म लेने वाले महान संत स्वामी कल्याण देव का नाम दूर दूर तक जाना जाता है, जिन्होंने ज्ञान की ज्योति जलाकर सैकड़ों की संख्या में शिक्षण संस्थानों की शुरुआत की, इनका भी आधुनिक इतिहास में नाम दर्ज है।इतना ही नहींं आसपास के राज्यों में भी इस महान् संत के नाम से कई दर्जन कॉलेज, स्वामी कल्याण देव आश्रम, स्वामी कल्याण देव इंटर व डिग्री कॉलेज भी खुले हुए हैं।

महाभारत की कुन्ती ने इस महल को बनवाया था जो आज खंडरों में तब्दील हो चुका है

इसी गांव में जन्मे पाकिस्तान के जनरल परवेज मुशर्रफ का नाम और उनके कार्यों से हर कोई परिचित होगा।यमुना नदी के तट पर बसे इस गांव का नाम भी इतिहास में जाना जाता है। महाभारत की कुंती भी इसी गांव की मिट्टी में पैदा हुई थी। कहा जाता है कि, तभी से कुंती के नाम से ही इस गांव का नाम कोताना रखा गया था। इस मिट्टी में जन्म लेने वाले पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ की पुश्तैनी जमीन भी इसी गांव में है ,जिसे केंद्र सरकार न शत्रु संपत्ति घोषित किया हुआ है ,जिसकी नीलामी करोड़ों रुपए में हुई थी। कई परिवार कोताना गांव से पाकिस्तान में चले गए थे, उनकी जमीन भी आज शत्रु संपत्ति घोषित हो चुकी है ।

यह है कोताना गांव के महान संत स्वामी कल्याण देव महाराज इनका जन्म भी इसी गांव में हुआ था बाद में यह शुक्रताल जाकर आश्रम बनाकर रहने लगे थे

यह गांव लगभग 9000 की आबादी वाला गांव है । इसी गांव में आज भी समरू बेगम का पानी का कुआं मौजूद है जो खंडहरों में तब्दील हो चुका है, लेकिन उनकी स्मृति को स्थायी रूप देने की फुर्सत पर्यटन या पुरावशेष विभाग को नहीं है।बताया जाता है कि, समरू बेगम इसी गांव के कुएं का पानी मंगा कर पीया करती थी, लेकिन आज समरू बेगम के कुएं पर दबंग लोगों का कब्जा बताया जा रहा है।वहीं परवेज मुशर्रफ के मकान पर भी दबंग लोगों का कब्जा है। जनपद बागपत एक ऐसा गांव जो बडोत आज भी इतिहास के पन्नों में दर्ज है

तहसील क्षेत्र के कोताना गांव के

महाभारत की कुंती जिसे कोताना गांव दान में दिया गया था

इतिहास के पन्नों पर सिमटा हुआ यह गांव आज भी भाईचारे की मिसाल कायम करने वाला गांव कहलाता है। इसी गांव में यमुना नदी के किनारे भवानीपुरी में भगवान श्री राम का एक भव्य मंदिर है । यह मंदिर भी लगभग 200 साल पुराना हो चुका है ,जो अब खंडहरों में तब्दील हो गया है । इसकी भी रेख देख करने वाला कोई नहीं रहा। इस मंदिर में लगभग 100 वर्ष पूर्व जागोस गांव में जन्मे महापुरुष जिन्हें लोग संतजी कहा करते थे ऐसे पंडित लाल सिंह इस मंदिर के पुजारी के रूप में कार्यरत रहे। उन्होंने मंदिर को भव्यता के साथ ही मूर्तियों को जीवंत किया,इसलिए मंदिर में आने वाले हरेक श्रद्धालु की मनोकामना पलक झपकते पूरी होती थी। हरियाणा सहित यूपी के विभिन्न जिलों से लोग यहां अपनी मनौतियां लेकर आते और पूरी होने पर सपरिवार घंटो कीर्तन व भजन से धन्यवाद ज्ञापित करते थे, लेकिन अब गांव वाले बताते हैं कि, मंदिर की जमीन पर भी कुछ दबंग लोगों ने कब्जा जमा रखा है ।

 

ग्रामवासी बताते हैं कि, इसी गांव के रहने वाले हुमायूं ने कोताना गांव में एक दरगाह व कई मस्जिद बनवाकर अपना धर्म निभाया था। गांव के लोग बताते हैं कि, हुमायूं का परिवार बाद में लखनऊ में भी रहने लगा । परवेज मुशर्रफ का परिवार कोताना गांव में बादशाही परिवार माना जाता था तथा वे हजारों बीघा के जमींदार कहलाए जाते थे। इस परिवार के लोगों की जमीन पर भी कुछ दबंग लोगों का आज भी कब्जा है । गांव के लोगों ने अनधिकृत कब्जा जमाए बैठे लोगों से ऐतिहासिक महत्व की जमीन को मुक्त कराने की मांग प्रदेश सरकार से की है और बेगम समरू के कुए के ऐतिहासिक महत्व तथा मंदिर को खंडहर होने से बचाने हेतु भी ध्यान दे स्वामी कल्याण देव महाराज का जन्म 1876मे कोताना गांव में उनकी ननिहाल में हुआ था स्वामी कल्याण देव महाराज 129 वर्ष की उम्र में ब्रह्मलीन हो गए थे इसी गांव में भवानीपुरी में श्री राम मंदिर है इस मंदिर की भूमि पर भी लोगों ने कब्जा जमा रखा है श्री राम मंदिर की स्थापना भी स्वामी कल्याण देव महाराज ने ही की थी रविवार को जनपद बागपत के वरिष्ठ समाजसेवी अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा सेवा ट्रस्ट के उत्तर प्रदेश प्रभारी एवं राष्ट्रीय कार्यकारिणी जय हिंद मंच के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य ्अनिल शर्मा अपनी टीम को साथ लेकर का कोताना गांव का इतिहास जानने के लिए पहुंचे वहां ग्राम वासियों की भीड़ लग गई इस गांव के इतिहास के बारे में जानकारी जुटाई गई कोताना गांव का नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज है कोताना गांव के इतिहासकार जमील चौधरी एवं शब्बीर चोधरी।धीर सिंह कश्यप पूर्व प्रधान बालेश्वर प्रजापत पूर्व प्रधान प्रमोद चौधरी वरिष्ठ समाजसेवी मुनेश त्यागी वर्तमान प्रधान मुकीद खान वरिष्ठ समाजसेवी मिंटू चौधरी वरिष्ठ समाजसेवी डॉक्टर इंदर सैन आदी मौजूद लोगों ने इस गांव के इतिहास के बारे में दैनिक शाह टाइम्स की टीम के साथ आज वार्तालाप करते हुए यह जानकारी दी है ।

कोताना गांव के बुजुर्गों का कहना है कि महाभारत की कुन्ती को कोताना गांव दान में दिया गया था उसे समय इस गांव का नाम कुंतनगर था जिसे आज कोताना के नाम से जाना जाता है इसी गांव से व्यापारियों के बड़े-बड़े कारोबार चलते थे विदेश तक कारोबार इसी गांव से होते थे यह गांव अपने आप में आज इतिहास के पन्नों में दर्ज है

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