बंगाल में अब संबिधान और कानून का नहीं, बल्कि दंगाइयों की भीड़ का शासन चलता नजर आ रहा है।”— राष्ट्रवादी चिंतक राजेश खुराना 

“ममता सरकार से सवाल है—क्या यह वही ‘प्रगतिशील’ बंगाल है जिसकी बात आप करती हैं? क्या आज़ आप के लिए विकास का मतलब सिर्फ़ चंद धार्मिक वोटों की गिनती है?—राष्ट्रवादी चिंतक राजेश खुराना लोकतांत्रिक में विरोध का भी एक संवैधानिक तरीका होता है, अगर आप वास्तव में भारत के नागरिक हैं, तो देशहित न्यायहित और जनहित को प्राथमिकता देनी होगी।—- राष्ट्रवादी चिंतक राजेश खुराना ये शांति प्रिय देश हिंसा और आतंक से नहीं, संविधान और कानून से चलता हैं मनमानी से नहीं —- राष्ट्रवादी चिंतक राजेश खुराना आगरा, संजय साग़र…

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