दर्ज़ी का दार्शनिक अन्दाज़ लेखक के द्वारा लिखी गई ये कविता

प्रत्येक वस्तु को उसके महत्व के अनुसार ही उचित जगह मिलती है, उसी तरह जीवन में हर व्यक्ति को योग्यता अनुसार स्थान मिलती है।   देखा जाता है कि दर्ज़ी जब कैंची से कपड़े काटते हैं फ़िर कैंची को पैर के नीचे दबा कर रख लेते हैं, और फिर सुई से कपड़े सिलते हैं।   सिलाई के बाद वह सुई को अपनी टोपी में लगाकर सुरक्षित रख लेते हैं, एक दर्ज़ी से जब किसी ने यह पूछा, कि वह हर बार ऐसा क्यों करते हैं।   दर्ज़ी ने इस प्रश्न…

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