कानपुर कोर्ट ने रिमांड खारिज कर दिव्यांशी चौधरी को व्यक्तिगत बंधपत्र पर छोड़ा
कानपुर चर्चित ‘लुटेरी दुल्हन’ दिव्यांशी चौधरी से जुड़े प्रकरण में आज कानपुर की अदालत ने पुलिस की रिमांड मांग को खारिज करते हुए आरोपी महिला को व्यक्तिगत बंधपत्र पर छोड़ने का आदेश दिया। अदालत ने टिप्पणी की कि पुलिस रिमांड के समर्थन में कोई ठोस और विश्वसनीय सामग्री प्रस्तुत नहीं कर सकी।
पुलिस ने 12 धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था
कानपुर पुलिस ने दिव्यांशी चौधरी के खिलाफ नए आपराधिक संहिता (BNS) की 12 धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था और आगे की पूछताछ के लिए 8 धाराओं में रिमांड की प्रशस्ति मांगी थी। लेकिन अदालत ने स्पष्ट किया कि रिमांड देने के लिए पर्याप्त आधार मौजूद नहीं हैं।
अदालत की सख्त टिप्पणी
सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि रिमांड जैसी कठोर प्रक्रिया के लिए आवश्यक साक्ष्य और आधार पुलिस द्वारा प्रस्तुत नहीं किए गए। अदालत ने टिप्पणी की कि “मात्र आरोप और अनुमानों” के आधार पर रिमांड नहीं दी जा सकती।
व्यक्तिगत बंधपत्र पर रिहाई
रिमांड खारिज करते हुए अदालत ने दिव्यांशी चौधरी को व्यक्तिगत बंधपत्र पर रिहा करने का आदेश जारी किया। साथ ही निर्देश दिया गया कि आरोपी जांच में सहयोग करेगी और किसी भी प्रकार का दबाव या प्रभाव नहीं डालेगी।
अदालत में उपस्थित वकील
दिव्यांशी चौधरी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता योगेश भसीन, एडवोकेट वरुण भसीन, विप्लव अवस्थी और शुभम पांडे अदालत में उपस्थित हुए। बचाव पक्ष ने तर्क दिया कि पुलिस के पास रिमांड के समर्थन में पर्याप्त आधार नहीं थे, जिसे अदालत ने भी स्वीकार किया।
मामले की पृष्ठभूमि
दिव्यांशी चौधरी पर आरोप है कि वह एक फर्जी शादी और वसूली करने वाले गिरोह का हिस्सा थी। पुलिस ने उसे हाल में गिरफ्तार किया था और इसे “फेक रेप–एक्स्टॉर्शन मॉड्यूल” का हिस्सा बताया था।
