धारा लक्ष्य समाचार
सहारनपुर।
माँ शाकुम्भरी विश्वविद्यालय में वनस्पति विज्ञान विभाग एवं आउटरीच सेल, महाराज सिंह कॉलेज, द्वारा डी.बी.टी, भारत सरकार के सहयोग से आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार-cum-वर्कशॉप के द्वितीय दिवस का शुभारम्भ आज विश्वविद्यालय की माननीय कुलपति प्रो. विमला वाई. द्वारा किया गया। अपने उद्घाटन संबोधन में उन्होंने आधुनिक वनस्पति विज्ञान के बढ़ते महत्व, अनुसंधान की बदलती दिशाओं तथा युवाओं के लिए उपलब्ध नए अवसरों पर विशेष रूप से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में जैव विविधता संरक्षण, उन्नत अनुसंधान तकनीकें और सतत विकास वैश्विक स्तर पर अत्यंत आवश्यक हो गए हैं।
दूसरे दिन के मुख्य वक्ता प्रो. डेज़ी रानी बतिश (विभाग—वनस्पति विज्ञान, पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़) ने पौधों की आक्रामक प्रजातियाँ विषय पर विस्तृत एवं ज्ञानवर्धक व्याख्यान प्रस्तुत किया। उन्होंने लैंटाना कैमारा, एजेरेटम (Ageratum conyzoides), पर्थेनियम (Parthenium hysterophorus—कैरेट ग्रास) तथा आइकहॉर्निया (Eichhornia crassipes—वॉटर हायसिंथ) जैसी आक्रामक प्रजातियों के अनियंत्रित फैलाव, उनके दुष्प्रभाव तथा मूल वनस्पतियों पर पड़ने वाले उनके प्रतिकूल प्रभावों पर वैज्ञानिक दृष्टि से जानकारी प्रदान की।
इसके उपरांत डॉ. अनिल कुमार (प्राचार्य, एम.एस. कॉलेज, सहारनपुर) ने सतत विकास, जैव विविधता संरक्षण, औषधीय पौधों की संभावनाओं तथा ‘विकसित भारत’ के निर्माण में विज्ञान और कृषि की भूमिका पर प्रेरक व्याख्यान दिया। उन्होंने प्रतिभागियों को प्राकृतिक संसाधनों के जिम्मेदार एवं वैज्ञानिक उपयोग का महत्व समझाया।
माननीय कुलपति महोदया ने यह भी बताया कि प्रत्येक पौधे का अपना एक विशिष्ट स्थान (space) होता है, और किसी बाहरी प्रजाति की उपस्थिति उसके विकास में बाधा उत्पन्न कर सकती है। इस संदर्भ में पौधों के स्थानिक व्यवहार की वैज्ञानिक अवधारणा को व्यावहारिक उदाहरणों सहित समझाया गया।
कार्यक्रम में शैक्षणिक समन्वयक डॉ. विनोद कुमार, प्रो. रितु अग्रवाल, प्रो. संजय कुमार, डॉ. राजकुमार, डॉ. सुरेन्द्र कुमार, डॉ. दीक्षा सिंह, डॉ. ग़ज़ल शाहीन, ज़ेबा हमीद सहित अनेक सम्मानित विद्वान उपस्थित रहे। सत्रों का संयोजन एवं संचालन प्रतीभा चौहान द्वारा प्रभावी रूप से किया गया, धन्यवाद ज्ञापन डॉ. हर्ष सिंह ने किया । साथ ही डॉ. संदीप कुमार, डॉ. पंकज कुमार तथा डॉ. आर्चस्वी त्यागी सहित कई संकाय सदस्य भी कार्यक्रम में सम्मिलित हुए।
कार्यक्रम का प्रथम दिवस सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ। आगामी दिनों में विशेषज्ञ व्याख्यान, उन्नत प्रशिक्षण सत्र एवं फील्ड-आधारित गतिविधियाँ आयोजित की जाएँगी।
