धारा लक्ष्य समाचार पत्र
स्थान : कृषि विज्ञान केंद्र कठौरा, जगदीशपुर, अमेठी
जगदीशपुर/अमेठी। जगदीशपुर के आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कुमारगंज अयोध्या द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केंद्र कठौरा जगदीशपुर में चल रहे प्राकृतिक खेती प्रशिक्षण कार्यक्रम का आज तीसरा दिन किसानों और कृषि सखियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण रहा। प्रशिक्षण के इस चरण में प्रतिभागियों को जीवामृत बनाने की विधि लाइव प्रायोगिक रूप से सिखाई गई। प्रशिक्षकों ने किसानों से स्वयं जीवामृत तैयार करवाकर इसकी मात्रा, उपयोग और फसल पर पड़ने वाले लाभों की विस्तारपूर्वक जानकारी दी।
कार्यक्रम में डॉ. अर्चना ने विभिन्न जैविक उत्पादों—जैसे जीवामृत, बीजामृत, नीम-अर्क और जैविक घोलों—के महत्व पर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने कहा कि ये प्राकृतिक घोल मिट्टी की उर्वरता बढ़ाते हैं, सूक्ष्मजीवों की सक्रियता में वृद्धि करते हैं और रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता कम करते हैं।
डॉ. लाल पंकज ने फसलों में लगने वाले रोगों और उनके प्राकृतिक उपचारों पर विशेष सत्र लिया। उन्होंने नीम-अर्क, गोमूत्र आधारित घोल और अन्य देशी उपचारों के उपयोग को सुरक्षित, किफायती और पर्यावरण-अनुकूल बताया।
कृषि विभाग के बीटीएम देवमणी त्रिपाठी ने किसानों को प्राकृतिक खेती से संबंधित सरकारी योजनाओं, अनुदान और किसानों को मिलने वाले लाभों के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान की।
प्रशिक्षण में प्रमिला देवी, रीता, कांति सिंह, मधु सिंह, राकेश कुमार, रहमीना बानो, मालती सिंह, ज्योति सिंह, सुनीता सिंह, विजयलक्ष्मी, रानू कुमारी, जगेमोहन, पुष्पा साहू, सरिता और माधुरी सहित कई कृषि सखियाँ और किसान उपस्थित रहे।
