धारा लक्ष्य समाचार पत्र
बाराबंकी। सगीर अहमद समाजवादी विचारों से पूरी तरह से इत्तेफाक रखते थे। उनका मानना था कि समाजवाद ही देश में समानता और सम्पन्नता लाएगा। वह पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर और नेताजी मुलायम सिंह यादव के बेहद करीबी और संघर्षों के साथी थे। उन्होंने तमाम दुख-परेशानियां और खतरे झेलते हुए समाजवाद को अपनी जिंदगी में भी ढालने की कोशिश की।
यह बात नगर के गाँधी भवन स्थित में गाँधी जयंती समारोह ट्रस्ट के तत्वावधान में सगीर अहमद की 92वीं जयंती पर आयोजित सभा के मुख्य अतिथि पूर्व कैबिनेट मंत्री अरविंद कुमार सिंह गोप ने कही। गुरूवार को सगीर अहमद और शिव कुमार राय के स्मृति दिवस पर आयोजित सदभावना दिवस पर उनके चित्र पर माल्यार्पण करके श्रद्धांजलि अर्पित किया गया।
सभा की अध्यक्षता कर रहे जयप्रकाश नारायण ट्रस्ट के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ पत्रकार अनिल त्रिपाठी ने कहा कि सगीर अहमद मुल्क के उन गिने चुने राजनेताओं में शामिल रहे हैं, जिन्होंने समाज में सियासत के जरिए मुहब्बत, अमन और इंसानियत का पैगाम दिया। वह एक सच्चे वतनपरस्त और सेक्युलर इंसान थे।
समाजवादी चिंतक राजनाथ शर्मा ने बताया कि एक राजनेता के तौर पर सगीर अहमद की समाजवादी विचारक की भूमिका और दूरदर्शिता का कोई सानी नहीं है। अपने विचारों से उन्होंने समाजवादी विचारधारा को लोगों तक पहुंचाया। लोकतंत्र रक्षक सेनानी एवं वरिष्ठ पत्रकार धीरेन्द्र नाथ श्रीवास्तव ने कहा कि सगीर अहमद की समाजवादी विचारधारा में गहरी आस्था थी। समाजवाद ही उनके जीने का सहारा था और आखिरी समय तक उन्होंने इस विचार से अपनी आस नहीं छोड़ी।
