चीनी और भारत सेनाओं के भिड़ंत के बीच भारत के बाजार में बढ़ा ‘ड्रैगन का कब्जा

लखनऊ।गलवान घाटी में भारत और चीन की सेनाओं की के बीच हुई मुठभेड़ के बाद जिस तरह की परिस्थितियां राजनीतिक तौर पर बदली।वैसा ही बदलाव आर्थिक तौर पर भी करने की कोशिश की गई। कई चीनी ऐप्स पर बैन लगाया गया. कई तरह के सामानों पर डंपिंग ड्यूटी बढ़ाई गई।

उसके बाद भी भारत का से चीन से आयात कम नहीं हुआ। भारत के बाजारों में चीन के सामान हिस्सेदारी लगातार बढ़ती गई है। जुलाई का आंकड़ा सामने आया है, वो बेहद चौंकाने वाला है।चीन से भारत के इंपोर्ट बिल में 13 फीसदी का इजाफा हो गया है। जबकि एक्सपोर्ट करने की परिस्थिति बिल्कुल विपरीत है।जिसमें 9 फीसदी से ज्यादा की गिरावट देखने को मिली है. आइए आंकड़ों से समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर भारत से एक्सपोर्ट और इंपोर्ट की क्या परिस्थितियां हैं।

पिछले वित्त वर्ष में चीन को भारत का निर्यात 8.7 प्रतिशत बढ़कर 16.67 अरब डॉलर रहा था। पड़ोसी देश से आयात 3.24 प्रतिशत बढ़कर 101.7 अरब डॉलर हो गया।व्यापार घाटा वित्त वर्ष 2022-23 के 83.2 अरब डॉलर से बढ़कर 85 अरब डॉलर हो गया।चीन 2013-14 से 2017-18 और 2020-21 में भारत का टॉप ट्रेडिंग पार्टनर था। जुलाई के महीने में देश का चीन से आयात में इजाफा देखने को मिला है।

चीन से लगातार बढ़ रहा इंपोर्ट

देश का चीन को निर्यात जुलाई में 9.44 फीसदी घटकर 1.05 अरब डॉलर रहा जबकि आयात 13.05 फीसदी बढ़कर 10.28 अरब डॉलर पहुंच गया। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जुलाई अवधि में चीन को निर्यात 4.54 फीसदी घटकर 4.8 अरब डॉलर रहा जबकि इंपोर्ट 9.66 फीसदी बढ़कर 35.85 अरब डॉलर रहा।इस तरह भारत का चीन के साथ व्यापार घाटा 31.31 अरब डॉलर रहा।

वैश्विक बाजार पर भी चीनी दबदबा

चीन वित्त वर्ष 2023-24 में 118.4 अरब डॉलर के व्यापार (निर्यात और आयात) के साथ अमेरिका को पीछे छोड़ते हुए भारत का सबसे बड़ा व्यापार भागीदार बनकर उभरा है। पिछले वित्त वर्ष में चीन को भारत का निर्यात 8.7 प्रतिशत बढ़कर 16.67 अरब डॉलर रहा था. पड़ोसी देश से आयात 3.24 प्रतिशत बढ़कर 101.7 अरब डॉलर हो गया।व्यापार घाटा वित्त वर्ष 2022-23 के 83.2 अरब डॉलर से बढ़कर 85 अरब डॉलर हो गया।चीन 2013-14 से 2017-18 और 2020-21 में भारत का टॉप ट्रेडिंग पार्टनर था. चीन से पहले संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) देश का सबसे बड़ा व्यापार भागीदार था. 2021-22 और 2022-23 में अमेरिका सबसे बड़ा भागीदार था।

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