सीएम का युवाओं को मंत्र, जीवन में शॉर्टकट मत अपनाइए, अपनी विरासत पर गौरव कीजिए और नेतृत्व का गुण विकसित कीजिए

देश की सबसे बड़ी विधायिका में चर्चा का हिस्सा बने 240 युवा

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के विधान भवन में युवाओं का एक ऐतिहासिक आयोजन हुआ। युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय भारत सरकार के तत्वावधान में आयोजित विकसित भारत युवा संसद महोत्सव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुख्य अतिथि के रूप में युवाओं को संबोधित किया। विधान सभा मंडप, विधान सभा सचिवालय में संपन्न कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा से शुरू किए गए माई भारत अभियान के तहत युवाओं की नेतृत्व क्षमता को बढ़ावा देने का संकल्प दोहराया गया।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि युवा संसद का उद्देश्य केवल यह नहीं कि आप नेता बनें, बल्कि आपके भीतर नेतृत्व का गुण पैदा हो, आप विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका, व्यापार, या किसी भी क्षेत्र में जाकर समाज की सेवा कर सकते हैं। जब आप लीक से हटकर कुछ नया और अतिरिक्त करते हैं, तो वह समाज के लिए प्रेरणा बनता है।

युवा संसद का उद्देश्य नेतृत्व का विकास

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रदेश के विभिन्न जनपदों से आए युवा साथियों का इस मंच पर स्वागत है। यह आपके लिए गौरव का क्षण है। उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम में 240 युवाओं का चयन किया गया है। जो आज देश की सबसे बड़ी विधायिका में चर्चा का हिस्सा बने हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह गौरवपूर्ण अवसर है। मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में 2019 से शुरू हुई युवा संसद की यह पहल जीवन के हर क्षेत्र में नेतृत्व गुण विकसित करने के उद्देश्य से आगे बढ़ रही है।

संसदीय लोकतंत्र की ताकत

मुख्यमंत्री ने भारत के संसदीय लोकतंत्र की व्याख्या करते हुए कहा कि इसके तीन स्तंभ विधायिका, कार्यपालिका, और न्यायपालिका एक-दूसरे के पूरक हैं। विधायिका नीति बनाती है तो कार्यपालिका उसे लागू करती है। न्यायपालिका नियमों की विवेचना करती है। ये तीनों मिलकर सुशासन के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करते हैं। उन्होंने युवाओं को बताया कि विधानमंडल में जनप्रतिनिधि नियमों के तहत अपनी बात रखते हैं और यही प्रक्रिया देश की नीतियों और कानूनों को आकार देती है। अगर कहीं कोई शिकायत है तो जनता के पास कार्यपालिका और न्यायपालिका के मंच भी उपलब्ध हैं। यह व्यवस्था लोकतंत्र की ताकत है।

संविधान और कर्तव्य का महत्व

मुख्यमंत्री ने संविधान के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि 26 नवंबर 1949 को बाबा साहब भीमराव अंबेडकर ने संविधान सभा को इसका मसौदा सौंपा था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 26 नवंबर 2015 से इसे संविधान दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत की। जिससे हम अपने संविधान निर्माताओं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त कर सकें। यह संविधान 140 करोड़ भारतीयों को बिना भेदभाव के मताधिकार का अवसर प्रदान करता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि संविधान हमें अधिकारों के साथ-साथ कर्तव्यों का भी बोध कराता है। केवल अधिकारों की मांग से राज्य तबाह हो जाते हैं। जैसा कि हमने कई उदाहरणों में देखा। कर्तव्यों का पालन ही देश को समृद्ध बनाता है।

व्यवहार और संस्कार की मिसाल

एक छोटी कथा के माध्यम से मुख्यमंत्री ने व्यवहार के महत्व को समझाया। उन्होंने कहा कि आपके व्यवहार और आचरण ही आपकी पहचान बनाते हैं। भारत की विशिष्टता इसके रिश्तों और शिष्टाचार में है। यहां अपरिचित को भी भैया, चाचा, या दादा कहकर संबोधित किया जाता है। यही हमारी संस्कृति है। जो हमें दुनिया में अलग बनाती है।

युवाओं के लिए संदेश

मुख्यमंत्री ने युवाओं से कहा कि जीवन में शॉर्टकट मत अपनाइए। अपनी विरासत पर गौरव कीजिए और नेतृत्व का गुण विकसित कीजिए। आप किसी भी क्षेत्र में जाएं, प्रभावी संवाद और सूत्रबद्ध कार्य से सफलता पाएं। उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष और परिषद के सभापति को धन्यवाद देते हुए इस आयोजन को ऐतिहासिक बताया। सीएम ने कहा कि लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत है संवाद।

जब हम कम शब्दों में अपनी बात को रखते हैं तो किसी को भी प्रभावित कर सकते हैं। बहुत लंबा चौड़ा बोलेंगे तो आप स्वयं इसमें उलझ जाएंगे। हम लोग देखते हैं जो सदस्य छोटा प्रश्न करते हैं वह मंत्री को उलझाने में सफल हो जाते हैं। लेकिन जो बड़ा प्रश्न करता है और प्रश्न पर प्रश्न करता रहता है, उसे पता ही नहीं होता कि मुझे क्या पूछना है।

इस अवसर पर उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सभापति मानवेंद्र सिंह और विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना सहित नेहरू युवा केंद्र, विधानसभा सचिवालय, और संसदीय कार्य विभाग के अधिकारी भी मौजूद रहे।

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