धारा लक्ष्य समाचार
आगरा न्यूज। त्रिमोहन मिश्रा ने कहा है कि अपना घर टूटता है, अपने बच्चे रोते हैं तो बहुत दुख होता है, “लेकिन हम मानव कमा सकते हैं हमें दिमाग और हाथ पैर दिए हैं।” लेकिन जानवरों में हाथ, पैर और दिमाग तो सीमित होता है।
ये सब प्रकृति (पृथ्वी) ही है : “जो जीवन देता उसे मां कहते हैं और जो परवरिश करने में सहायता करता है उसे पिता कहते हैं”
पिता (पूर्वज) कौन हैं : – पेड़ ही हैं ईश्वर और पिता इनका फर्ज, हमेशा संतानों की बिना स्वार्थ के सहायता करना होता है, परंतु कुछ संताने (मानव जाति) पेड़ों को ही दुख पहुंचाकर, उनकी तस्करी करके, संपत्ति को हड़प कर खुद को, सुखी करने की कोशिश में लगी रहती हैं, पेड़ों को उनके जीवन समाप्ति काल तक दुख न दें। बस उनका पिता की तरह ख्याल रखें, जब तक कि वे स्वयं प्रकृति में जीवन न त्याग दें, फिर आप आवास बनाएं और उसके बाद ही पिता की संघर्ष भरी संपति के मालिक बनें।
पिता रूपी पेड़ों ने हमें : (ऑक्सीजन, भोजन (आहार) , औषधि (दवा), जल प्रबंध, अग्नि प्रज्योलित सामग्री, शुद्ध वातावरण (आकाश), मिट्टी के कटाव को रोकना, वन्य जीवों का आवास, असमय मौसम में परिवर्तन को रोकना और वातावरण को संतुलन रखना “पेड़ के पास कभी आप समय बिताना तनाव से मुक्ति अवश्य मिलेगी”, सूखे पेड़ अन्य अर्थव्यवस्था का स्त्रोत बनते हैं), “जैसे, जीते जी एक पिता अपनी संतानों पर आंच नहीं आने देता, वैसे ही पेड़ मानव और अन्य प्रजातियों के लिए अनुकूल वातावरण संतुलित रखते हैं” इसलिए हर रूप में पेड़ों को पूजा जाता है

ट्री मैन का संदेश : “मां : जिससे जन्म होता उसे प्रकृति कहते हैं। पिता : जो पालन पोषण की पूर्ति करता है उसे पेड़ कहते हैं।।
पेड़ लगाने और उनकी देखभाल करने से हमें कई लाभ प्राप्त होते हैं। ” सबको पता है पेड़ हमें ऑक्सीजन और ऑक्सीजन का मतलब जीवन” यदि आप और हम कोई भी कार्य करके, पेड़ों को काट कर डेवलपमेंट के नाम का भार, अपने सिर लेना चाहते हैं, तो सबसे पहले वनों के हरे पेड़ बचे हैं, “उनको काटो मत, पशु पक्षियों और जानवरों के निवास को उजाड़ो मत”, पेड़ कट जाता है तो जीवन जाता है, जिस बाप ने जीवन जीना सिखाया सांसें दी, उसी का गला काट दिया, हम लोग अब तक इतना नुकसान कर चुके हैं, अब तक इसे झेल रहे हैं और आने वाली पीढ़ी भी इसको झेलेगी, या शायद पीढ़ी हो ही न, गर्मी का प्रकोप, बीमारियां और हर प्रकार के पॉल्यूशन से हम सुरक्षित नहीं हैं, तूफान, बाढ़, विभिन्न प्रकार से अग्नि का सामना, पहले पृथ्वी “हरी पृथ्वी” थी, अब सूर्य की तपन “लाल पृथ्वी” बनायेगी, जो हाल मंगल ग्रह पर हुआ यहां भी वही होने जा रहा है।
मेरा बचपन से सपना है “ग्रीन अर्थ” देखने का इस मुहिम के सहारे प्रत्येक व्यक्ति जिम्मेदारी लेगा, तभी मुमकिन होगा जितने पेड़ आप सुरक्षित रख सकें, और जितने लगा सके लगाएं, अगर संतान हो मां की और धरती मां मानते हो तो, जान देदो अपने मां बाप के लिए, जीवन खतरे में है ये जो जमीन है, इस पर हमारा कभी अधिकार नहीं था पहले, वो तो शुक्र मनाओ पेड़ों का, पशु पक्षियों और जानवरों का, जो दोस्त समझकर अधिकार दे दिया आवास बनाने का, अब तक जीवों ने पाला है और रखवाली की, अब मां की संताने ज्यादा ही, पढ़ लिख कर बड़ी हो गई है, मां बाप को वृद्धाश्रम भेजने वाली संताने क्या समझेगी, मां बाप की कीमत, पानी सिर से ऊपर निकल रहा है, आप पशु पक्षियों और जानवरों का अधिकार और उनके निवास को बर्बाद करके, डेवलेपमेंट का नाम देकर, वनों का विनाश कर रहे हो, अब तक जितने पैर पसारे हैं उसको तो साफ सुथरा करो पहले, “जानवरों द्वारा की हुई गंदगी से मिट्टी बन जाती है, और मानवों द्वारा की हुई गंदगी सिर्फ पॉल्यूशन फैलाती है”, जो विभिन्न प्रकार से है अब दोषी कौन है, “सुधार जाओ मानव जाति” सीमित समय है नहीं तो कुछ भी नहीं रहेगा, आप लोग जो इस गुलदस्ते के मैदान को उजाड़ रहे हो, मैं तो कहता हूं ।
जगह जगह पेड़ लगाओ, ताकि पीढ़ी बचे नहीं तो डेवलेपमेंट रखा रह जाएगा, और जो लोग पेड़ काट देते हैं कोई भी हो, उनके लिए चार शब्द और “जितना अधिकार पेड़ों से, जानवरों से और पशु पक्षियों से छीन लिया है, पहले उतना साफ सुथरा और साफ रख सको, तभी जंगल की तरफ आंख उठाना, अगर ये संभव लगता है तो खूब पैर पसारो, संपूर्ण प्रजाति और मानव जाति खतरे में है, पेड़ बचाओ और लगाओ बस, सब नॉर्मल करना है, हमें अपने शरीर के अंगों की कीमत पता है, क्या हम अपने अंगों को बेच देते हैं, तस्करी करते हैं नहीं, मृत्यु हो जाती है और ये करना अपराध होता है, पर कुछ लोग कर रहे हैं, और जो करते हैं पेड़ काटने के नाम पर “कसम खाओ धरती मां की नहीं करेंगे” आशा है आप समझ गए होंगे।
करते रहेंगे जागरूक आगरा से “ट्री मैन”
