समाजसेवी राजेश तिवारी जी द्वारा बाबा साहब की प्रतिमा पर पुष्पांजलि एवं माल्यार्पण कर श्रृद्धांजलि अर्पित

आज विकासखंड हैदरगढ़ के ग्राम पंचायत चौबीसी के पदुमपुर गांव में मुख्य अतिथि के रूप में समाजसेवी राजेश तिवारी जी द्वारा बाबा साहब की प्रतिमा पर पुष्पांजलि एवं माल्यार्पण कर श्रृद्धांजलि अर्पित की गई।

वही आज इस कार्यक्रम में गांव के काफी लोग एकत्रित रहे और सभी लोगों ने मिलकर अंबेडकर जयंती का आयोजन किया।

अंबेडकर अपने जीवन के आखिरी दौर में बौद्ध हो गये थे जो बौद्ध वादी नहीं हैं वो भी अंबेडकर को आज भी नकार नहीं सकते यही अंबेडकर का कद है, संविधान ‌रचयिता अंबेडकर वंचितों को एक बड़ा सहारा देकर चले गये।

ज्योतिबा और सावित्रीबाई फुले के बाद वो आखिरी व्यक्ति थे जो वंचितों के लिए लड़े उसके बाद जो आये सब वोट बैंक वाले नेता हुए अंबेडकर नेता नहीं वो चुनाव हारे भी थे

अंबेडकर आज भी प्रासंगिक हैं उनको खासकर वंचित वर्ग के लोग समझे और आत्म सात करें ।

और समाजसेवी राजेश तिवारी ने अपने वक्तव्य में कहा कि अपने माता पिता के चौदह संतानों में वो अकेले थे जिन्होंने समझा कि शिक्षित होना ही बड़ा शस्त्र है पढ़े तो‌ ऐसा कि कमाल वे मेधावी छात्र थे और पढ़ाई को लेकर खंभे के नीचे बैठ कर केम्ब्रिज और कोलम्बिया तक चले गए।

वे उस दौर के पहले ऐसे भारतीय थे जिन्होंने चार बार पीएचडी की उपाधि हासिल की डॉ आंबेडकर ने कोलम्बिया विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से पीएचडी हासिल की उन्होंने कोलम्बिया विश्वविद्यालय से कानून में LLD की उपाधि भी हासिल की उन्हें चौथी पीएचडी उस्मानिया विश्वविद्यालय भारत से मिली इस तरह हम कह सकते हैं कि जो लोग आज अम्बेडकर को खारिज करते हैं वे पढाई के मामले में उनके पैरों की धूल भी नहीं हैं मुझे लगता है कि दलित समाज को अंबेडकर के छात्र जीवन से ज्यादा प्रेरणा लेनी चाहिए। इस मौके पर

समाजसेवी राजेश तिवारी, मुन्ना शर्मा, विपुल भट्ट, गुड्डू पंडित, लविश उत्कर्ष भट्ट, शत्रोहन गौतम, रिंकू गौतम और सभी दलित समाज के लोग एकत्रित रहे बाबा भीम राव अंबेडकर जयंती पर

नोट: अगर आपको यह खबर पसंद आई तो इसे शेयर करना न भूलें, देश-विदेश से जुड़ी ताजा अपडेट पाने के लिए कृपया Dhara Lakshya samachar के Facebook पेज को LikeTwitter पर Follow करना न भूलें...

Related posts