जच्चे की हालत भी नाजुक परिजन लगा रहे डॉ पर लापरवाही का आरोप
धारा लक्ष्य समाचार श्रवण कुमार सिंह
लखीमपुर (खीरी)।सदर कोतवाली क्षेत्र के अंतर्गत धर्मकांटा के पीछे भूफोरवानाथ मंदिर के निकट बने मनोज महेशा हॉस्पिटल में प्रसव के दौरान नवजात शिशु की हुई मौत,पिता ने डॉक्टर पर गलत इलाज करने का लगाया आरोप,जच्चा की हालत भी गंभीर पीड़ित ने उच्चाधिकारियों से लगाई गुहार। इससे पूर्व में भी इस मनोज महेशा हॉस्पिटल में इलाज के दौरान हो चुकी है दो और मरीजों की मौत जिसके बाद इस हॉस्पिटल पर कभी भी कोई कार्यवाही नहीं की गई और आज फिर से इस मनोज महेशा हॉस्पिटल में एक बच्चे की मौत हो गई और वहीं जच्चा की हालत नाजुक बनी हुई है।
इस हॉस्पिटल पर एक और भी आरोप सूत्रों के जरिए लग चुके है कि अगर परिजन अगर अपने मरीज को सुरक्षित महसूस नहीं समझते है तो वह जब अपने मरीज को यह से छुट्टी देने के लिए बोलते है तो हॉस्पिटल में बैठे प्राइवेट कर्मचारी मरीज पर अपना दबाव और मरीज को बंधक बनाकर उनके परिजनों से पहले अपने पैसे देने की डिमांड करते है उसके बाद उनको छुट्टी देने के लिए बोलते है नहीं तो कर्मचारी मरीज के परिजनों से बिना पैसे लिए नहीं छुट्टी देता है मनोज महेशा हॉस्पिटल ।
भले उस मरीज की जान क्यों न चली जाए।जब कोई घटना घटित हो जाती हैं तो वह बिना मरीज की हालत को परिजनों को बताकर ले जाने को कहने लगता है। मनोज महेशा हॉस्पिटल और यहां के कर्मचारी ।जब डॉक्टर या उस कर्मचारी का नाम जानना चाहे तो रिसेप्सन पर बैठी प्राइवेट नर्स या वार्ड बॉय अपना नाम तक बताना उचित नहीं समझते ।

इस हॉस्पिटल में मरीज के किए गए उपचार के बाद दिए जाने वाले खर्च हुए पैसों का बिल भी एक साधारण सादे कागज पर बनकर उस मरीज के परिजनों के हाथों में थमा दिया जाता है जिस पर न ही हॉस्पिटल का नाम होता है न ही कोई मोहर व साइन होते है। जिससे यह जाना जा सके कि उस मरीज का इलाज अगर कराया गया है तो किस हॉस्पिटल में कराया गया है । इस तरह के कारनामे अधिक तर गांव से आए इलाज कराने आए भोली भाली जनता के साथ अधिक होता है
शहर लखीमपुर में न जाने कितने अवैध हॉस्पिटल संचालित है जिनका न रजिस्ट्रेशन है न फायर न Noc ही कोई डॉक्टर और हॉस्पिटल बेधड़क दलालों के जरिए चल रहे हैं। मरीज इन्हीं के बहकावे में आकर इस तरह के बिना डिग्री डॉक्टरों व फर्जी अस्पतालों के शिकार हो जाते है।
और मरीज हॉस्पिटल में भर्ती के बाद में मरीज का इलाज बिना जानकारी के करते हुए उनकी जिंदगी के साथ खिलवाड़ करने में कोई कसर नहीं छोड़ते है । जिसके बाद परिजनों का हंगामा काटना शुरू हो जाता है और हॉस्पिटल संचालक मामले को सामने में जुट जाता है ।इन सबकी जानकारी जब आलाधिकारियों को दी जाती है तो केवल दिखावे के रूप में अस्पताल को कुछ दिनों के लिए सीज कर दिया जाता है
और उसके कुछ समय बाद पुनः वही खेल अस्पतालों का चालू हो जाता है कब प्रशाशन इस तरह के अवैध हॉस्पिटल पर करेगा कड़ी कार्यवाही। न जाने किसने अस्पताल इसी तरह से खुलते रहते हैं और बंद होते रहते है । देखना अब यह है कि इस मरीज के परिजनों को कोई इंसाफ मिलेगा या फिर से हॉस्पिटल को खाना पूर्ति कर मामले को दबा दिया जाएगा।
