Ayodhta news: पौराणिक तमसा अपनी बदहाली पर बहा रही आंसू लाखौरी ईट का पुराना पुल बना साक्षी

डा दिनेश तिवारी

अयोध्या पौराणिक तमसा नदी शाहगंज क्षेत्र में तमसा टकसरा पलिया माफी, रमपुरवा परुवा, सहित क्षेत्र के आधा दर्जन ग्राम पंचायत से होकर गुजरती है। आसपास के लोग चर्चा करते हैं कि अतीत का जल स्रोत थी सिंचाई का मुख्य साधन थी पशु पक्षियों के पेयजल का सहारा थी।लेकिन अब वह बात नहीं रह गई है। टकसरा में नदी उथली गहराई कम हो गई है।

जिससे तालाब के शक्ल में हो गई है। यहां नदी के अंदर प्रदूषित पानी, गंदगी जलकुंभी और काई दिखती है। कुछ मात्रा मे मौजूद गंदा पानी आचमन और नहाने लायक नहीं है। यहां सड़क पर स्थित लाखोरी ईट का पुराना जर्जर पुल तमसा का साक्षी है। दुर्गा पूजा महोत्सव के बाद क्षेत्र की दुर्गा प्रतिमाएं यही विसर्जित होती है। सफाई न होने से प्रतिमाओं का अवशेष इधर-उधर बिखरा रहता है।

यहां अंत्येष्टि स्थल भी है। अंतिम संस्कार के बाद चीता की राख नदी में जाती है। तट पर हनुमान मदिर भी है लेकिन तमसा का पानी स्नान लायक न होने से मंदिर में आने वाले शद्धालुओं को दिक्कत होती है। दुर्गा जी की प्रतिमा का विसर्जन होने के बाद नदी की सफाई होना चाहिए।

लेकिन कोई पहल नहीं की जाती। नदी मे गंदगी और प्रदूषण से पशु पक्षियों तक को दिक्कत होती है। इसको सदा नीर बनाना होगा जिसके लिए अभियान शुरू होना चाहिए। नदी मे साफ पानी होगा तो हनुमान मदिर पर आने वाले श्रद्धालुओं को काफी सुविधा मिलेगी। स्थानीय लोगों को कहना है कि नदी मे पहले पानी रहता था अब कहीं सूखी तो कहीं कीचड़ है।

नदी उथली हो गई है इसके संरक्षण के लिए प्रयास होना चाहिए। नदी में पक्का घाट ना होने से मूर्ति विसर्जन और अंत्येष्टि के बाद स्नान करने में लोगों को दिक्कत होती है। सरस्वती इंटर कॉलेज टकसरा के प्रबंधक श्री चंद्र तिवारी ने बताया बरसात के मौसम में संपर्क मार्ग से विसर्जन स्थल की दूरी 70 मीटर, एवं लगभग 15 फुट गहरा गड्ढा है।

कच्चा मार्ग ढलान होने के कारण मूर्तियों को ट्राली से उतार कर कंधे के सहारे विसर्जन स्थल तक ले जाया जाता है। कई बार लोग गिरकर चोटिल भी हो चुके हैं। नदी पर पक्का विसर्जन घाट का निर्माण कराए जाने की जरूरत है। टकसरा प्रधान अनिका निषाद ने बताया कि करीब 25 ट्राली मिट्टी डलवा कर रास्ता दुरुस्त करने का प्रयास किया गया था। बारिश की मौसम में मिट्टी बह गई।

रामपुरवा, पलिया माफी और परुवा गांव के पास से गुजर रही तमसा पूरी तरह सूख गई है। जंगली खरपतवार से पटी पड़ी है। क्षेत्र के निवासी अखिलेश पांडे, पलिया प्रधान सुरेश पासवान, पूर्व प्रधान रामयश यादव, समाजसेवी हरिनाथ उपाध्याय, अनूप कुमार यादव, तारावती चौरसिया, कल्पना तिवारी, महादेव निषाद ,बजरंग प्रसाद मौर्य, राम तिलक मौर्य,आदि लोगों द्वारा तमसा की बदहाली दूर करने की मांग की है।

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