अंबेडकर नगर में स्थित महिला थाने में महिला दरोगा आपका स्वागत करती हैं और यहां मर्दों की उपस्थिति का संकेत करती हैं.
देखकर लगता है जैसे मर्द और बरसों से चली आ रही मर्दाना सोच महिला थानों में भी घुसी हुई है. अम्बेडकर नगर में महिला थाने में कैसे हालात हैं ?
अम्बेडकरनगर में महिला थाना को खोलने का मक़सद महिलाओं को जल्द न्याय दिलाना था, लेकिन महिला एक्टीविस्टों की मानें तो नतीजा शून्य रहा.अंबेडकरनगर में इस थाना को खोलने का मक़सद महिलाओं को जल्द न्याय दिलाना था, लेकिन महिला एक्टीविस्टों की मानें तो नतीजा शून्य रहा.बकौल महिला एक्टीविस्ट और अधिवक्ताओ तोहरा यह कहा जाता है कि, “ये थाने समझौता का अड्डा बनता जा रहा है. महिला थाने में प्रतिदिन लगभग 25 से 30 शिकायती पत्र आते हैं परंतु महिला थाना द्वारा 4-5 महिला चेहरों को सामने रखकर सशक्तिकरण का दावा करती है, लेकिन जमीन पर ऐसा कुछ हो नहीं रहा है.

थाने पुरुष मानसिकता के साथ काम कर रहे है ऐसे में महिलाओं के कल्याण की बात बेमानी है.” जनपद में महिला थाने पर आने वाले फरियादियों से मिलने के बाद यह पता चला, “महिला थाने में औरतों से उम्मीद की जाती है कि घर बचाना है तो वो थोड़ा एडजेस्ट करके रहें. अगर एडजेस्ट कराना ही आपकी प्राथमिकता है तो फिर पुरुष थाने ही रहने देते. ये अलग से महिला थाना क्यों खोला?”
महिला थाने की इस गंभीर समस्या को देखते हुए मीडिया कर्मियों ने महिला थाना अध्यक्ष से मिलने का प्रयास किया गया परंतु महिला थानाध्यक्ष ज्योति वर्मा के पास मीडिया कर्मियों से मिलने का समय भी नहीं उपलब्ध था।
