धारा लक्ष्य समाचार हैदरगढ़, बाराबंकी। अपनी मूल भाषा के उत्थान तथा व्यवहारिक रूप में अधिकाधिक उपयोग से ही अपनी संस्कृति और संस्कारों को बचाया जा सकता है। अवधी वर्तमान समय में किसी परिचय की मोहताज नहीं है आज यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त कर रही है। उक्त बात अवधी साहित्य के साझा संकलन ” चितैरयि अवधी कयि ” के रविवार को कस्बा स्थित सालिकराम इंस्टीट्यूट सभागार में विमोचन अवसर पर वक्ताओं ने कही। मधुरस कला समन्वय समिति अमेठी द्वारा प्रकाशित व वेद प्रकाश सिंह प्रकाश द्वारा सम्पादित साझा संकलन…
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