धारा लक्ष्य समाचार पत्र
अवांकित श्रीवास्तव आज द हेल्पिंग हैंड ने खड़िया गाँव में “द फॉरेस्ट स्टोर नामक वर्चुअल स्टोर की शुरुआत की, जो किसानों को गाँव से ही अपना अनाज बेचने का डिजिटल मंच प्रदान करेगा। यह पहल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने और किसानों को उनके उत्पाद का उचित मूल्य गाँव में ही दिलाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।
इस योजना से खड़िया गाँव के 20 से अधिक किसान जुड़ चुके हैं। उन्होंने गन्ने की जगह पीली सरसों की खेती शुरू करने का निर्णय लिया है। द फॉरेस्ट स्टोर इन किसानों से सरसों, सब्जी, दूध को उचित मूल्य पर गाँव में ही खरीदेगा, उसको सीधे ग्राहकों तक पहुँचाएगा, ताकि किसानों को अधिक लाभ मिल सके।
संस्था ने किसानों के उत्साह को बढ़ाने के लिए खड़िया गाँव से 250 क्विंटल पीली सरसों का अग्रिम ऑर्डर भी दिया है। इससे किसानों में खुशी और आत्मविश्वास दोनों देखने को मिल रहे हैं।
इसके साथ ही संस्था ने नव्या फाउंडेशन के साथ मिलकर लखनऊ और बहराइच में सरसों तेल की पहली बिक्री शुरू करने की तैयारी भी कर ली है।
इस अवसर पर द हेल्पिंग हैंड के संस्थापक शाश्वत राज ने कहा –
> द फॉरेस्ट स्टोर सिर्फ एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म नहीं, बल्कि जंगल किनारे गाँव की आत्मनिर्भरता का प्रतीक है। यह किसानों को गाँव में ही बाजार देगा, महिलाओं को प्रोसेसिंग में रोजगार देगा, और जंगल के किनारे गन्ने की खेती बंद होने से मानव–वन्यजीव संघर्ष भी कम होगा।”
यह कार्यक्रम “ द टाइगर कब्स होमस्टे पर हुआ और जिसका उद्देश्य है —”द फॉरेस्ट स्टोर सिर्फ एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म नहीं, बल्कि जंगल किनारे गाँव की आत्मनिर्भरता का प्रतीक है। यह किसानों को गाँव में ही बाजार देगा, महिलाओं को प्रोसेसिंग में रोजगार देगा, और जंगल के किनारे गन्ने की खेती बंद होने से मानव–वन्यजीव संघर्ष भी कम होगा।”
“किसान अनाज को गाँव में ही बेच सके, किसानों को सही मूल्य देना और प्रकृति के साथ संतुलन बनाना।”
किसानों को गाँव में ही डिजिटल बाजार उपलब्ध कराने वाली अनोखी पहल।
20 से अधिक किसान जुड़े, पीली सरसों की खेती शुरू।
संस्था ने 250 क्विंटल पीली सरसों का अग्रिम ऑर्डर किया।
नव्या फाउंडेशन के सहयोग से लखनऊ और बहराइच में बिक्री प्रारंभ होगी।
गन्ने की खेती कम होने से मानव–वन्यजीव संघर्ष में कमी आएगी।
महिलाओं और युवाओं को स्थानीय रोजगार का अवसर मिलेगा।
कार्यक्रम मे नव्या फाउंडेशन के संस्थापाक देवेंद्र त्रिवेदी, आवंकित श्रीवास्तव और बड़ी संख्या मे किसान और महिलाए रही।
