धारा लक्ष्य समाचार पत्र
भेटुआ/अमेठी। महाराज दशरथ इंटर कॉलेज गैरिकपुर में आज मुंबई से पधारे महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी से पुरस्कृत लेखक एवं दार्शनिक डॉ. रमाकांत क्षितिज ने बच्चों से विभिन्न महत्वपूर्ण विषयों पर सार्थक संवाद किया।
अपने संबोधन में डॉ. क्षितिज ने बच्चों को तनाव से दूर रहने, स्वयं की तुलना किसी से न करने और अपने भीतर के श्रेष्ठ को पहचानने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि “आपका बेहतर ही सर्वोत्तम है।” जीवन में ध्यान और मौन के महत्व को समझाते हुए उन्होंने बताया कि यह एकाग्रता बढ़ाने और मानसिक शांति पाने का प्रभावी माध्यम है।
उन्होंने कहा कि किशोरावस्था जीवन का चौराहा है, जहां अधिकांश बच्चों की दिशा और भविष्य तय होते हैं। इसलिए इस उम्र में सही आदर्शों और विचारों को अपनाना बेहद आवश्यक है। उन्होंने यह भी कहा कि केवल डॉक्टर, इंजीनियर या वैज्ञानिक ही नहीं, बल्कि संत, महात्मा, विचारक और दार्शनिक भी जीवन के सच्चे आदर्श हो सकते हैं।
इंटर कॉलेज के प्राचार्य आशुतोष सिंह ने बताया कि डॉ. क्षितिज का कॉलेज से गहरा भावनात्मक संबंध रहा है। कार्यक्रम के दौरान स्वर्गीय समाजसेवी रमाकांत सिंह व दशरथ महाराज को श्रद्धांजलि भी अर्पित की गई।
संवाद के दौरान बच्चों को प्रश्न पूछने का अवसर मिला, जिसका उन्होंने उत्साहपूर्वक लाभ उठाया। कॉलेज की सुचारू व्यवस्था की प्रशंसा करते हुए डॉ. क्षितिज ने लगभग छह से सात सौ छात्रों को कुछ समय के लिए ध्यान और मौन का अनुभव भी करवाया और इसे जीवन में अपनाने की अपील की।
कार्यक्रम को सफल बनाने में इंटर कॉलेज के शिक्षकों एवं शिक्षिकाओं का विशेष योगदान रहा। प्राइमरी विभाग की मुख्य अध्यापिका ज्योति सिंह तथा प्राचार्य आशुतोष सिंह ने डॉ. रमाकांत क्षितिज का सम्मान कर आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर श्रीकांत तिवारी और शशिकांत तिवारी पुजारी भी उपस्थित रहे।
इस प्रेरक आयोजन की चर्चा पूरे क्षेत्र में हो रही है और लोगों में ऐसे आयोजनों की उम्मीद भी और प्रबल हुई है।
