Uttarakhand: भाजपा सरकार 15 साल में एक गरीब को न्याय दिलाने में असमर्थ

उत्तराखंड में 15 से पुलिस द्वारा किसी केस में एक लड़के को फसा दिया गया जिसमें उस लड़के कि पढाई के वक्त जो था उससे उसकी जिदंगी बरबाद हो गई और आज वह राष्ट्रपति से पीएम मोदी तक न्याय की गुहार लगा रहा है। जो कि अभी तक न्याय नहीं मिल पाया है। जिससे यह लड़का मनोज कुमारकी आज 15 साल होने आए जिससे उसकी जिंदगी बरबाद हो गई और मनोज कुमार दर-दर भटक रहा है।

उत्तरखंड पुलिस के खिलाफ कार्यवाही के नाम पर धरना

बता दे कि मनोज कुमार ने कितनी बार उत्तरखंड पुलिस के खिलाफ कार्यवाही की जो कि उसे मुआवजा मिल सके और पुलिस पर कार्यवाही हो सके जिससे आज वह जिस स्थिति से गुजरा है कोई और इससे गुजर ना सके जिससे पुलिस की लापरवाही का नतिजा बताया जाता है जो कि इसकी शिकायत राष्ट्रपति से लेकर पीएम मोदी तक की जा चुकी है।

ऑनलाइन मोदी और शिकायतों का सिर्फ दिखावा फाईल क्लोज

बता दे कि ऑनलाइन मनोज कुमार ने जो भी किया गया सिर्फ पुछ और दिखावा दिखाई दे रहा है जो कि अभी तक उत्तराखंड पुलिस और कोर्ट का चक्कर ही मनोज कुमार काट रहा है जिससे आज तक ना पुलिस को इस पर कार्यवाही हो पाई ना मोदी जी के यहां से लेटर से सुझाव के बाद भी उत्तराखंड पुलिस से लेकर उत्तरखड सरकार सीएम तक 15 साल में मनोज कुमार को इंसाफ दिला पाई है।

भाजपा सरकार से नाराज होते दिख रहे मनोज कुमार

देखा जाए तो न्याय अन्याय कि लडाई में आज जो देखा जा रहा है वह अन्याय की जीत दिखाई दे रही है जिसमें भाजपा सरकार और भारत सरकार सपोर्ट कर रही है। जिससे आज मनोज कुमार इससे नाराज चल रहे और दर-दर भटक रहे है।

जो कि भाजपा सरकार न्याय को आगे करती रही है उसे आज भी देख मनोज कुमार बोल रहे है कि वह न्याय से नाराज है जो कि भाजपा सरकार और भारत सरकार दे नहीं पाई जो कि इससे वह

न्याय और अन्याय की लड़ाई में गरीब बेकसूर की उत्तराखंड सरकार से गुहार- 15 साल से गरीब बेकसूर उत्तराखंड सरकार और प्रधानमंत्री के यहां इंसाफ के लिए दर-दर भटक रहा.

3.8.2010 को देहरादून के पुलिस कंट्रोल रूम में किसी अज्ञात व्यक्ति के द्वारा उतराखण्ड राज्य के मुख्यमंत्री डाक्टर रमेश पोखरियाल निशंक को जान से मरनी धमकीं किसी अज्ञात व्यक्ति के द्वारा दिया था लेकिन देहरादून के पुलिस ने मुझे इस झूठे कैस में फंसाकर जेल डाल दिया था यह मामला करीब सात साल तक देहरादून कोर्ट में चला उसके बाद 11.1.2017को देहरादून के कोट ने मुझे बरी कर दिया था।

लेकिन तबसे मे काफी परेशान हूं इस सम्बन्ध में मेने पुलिस महानिदेशक से लेकर मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री मानव अधिकार आयोग से लेकर राष्ट्रपति से लेकर उतराखण्ड राज्य के हाईकोर्ट से लेकर लिख चुका हूं लेकिन किसी ने भी मेरी मांगों पर कोई भी कार्रवाई नहीं हुई है तबसे में काफी परेशान हूं अब मेने अपने मामले को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर रहा हूं

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