Lakhimpur: आपके लिए खतरनाक हैं आपके खर्राटे-डॉ. सूर्य कान्त

धारा लक्ष्य समाचार श्रवण कुमार सिंह

लखीमपुर (खीरी)। मोटाबोलोमिक्स, स्वस्थ जीवनशैली और इष्टतम मेटाबोलिक प्रोफाइल विषय पर आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के दूसरे दिन सम्बन्धित विषयों पर दूर – दूराज के मेडिकल कालेज से आये आचार्यों ने अपने विचार व्यक्त किये। सभी अतिथियों को प्रधानाचार्य प्रोफेसर डॉ वाणी गुप्ता द्वारा स्मृति चिन्ह व प्रमाण-पत्र देकर अभिवादन किया गया।

इस दौरान उन्होंने सभी का धन्यवाद देते हुए कहा कि मोटाबोलोमिक्स पर आधारित यह राष्ट्रीय सम्मेलन मेडिकल कालेज के छात्रों के साथ ही खीरी जिले के सभी प्रतिभागियों के लिए मील का पत्थर साबित होने जा रहा है। राष्ट्रीय सम्मेलन के दूसरे दिन आम जीवन से जुडी प्रमुख समस्या खर्राटे के लेकर पूर्व विभागाध्यक्ष श्वास रोग विभाग केजीएमयू, लखनऊ के प्रोफेसर डॉ सूर्य कान्त ने विस्तार से जानकारी दी, उन्होनें बताया कि पांच लक्षणों से आप आसानी से यह पता लगा सकते है

कि सामने वाले व्यक्ति को खर्राटों की समस्या है या नहीं! जिनमें गर्दन का छोटा या मोटा होना, दबी हुई व धसी हुई ठोढ़ी और मोटापा शामिल है। खर्राटें जीवन बीमारियों के कारक है जिनमें श्वास सम्बन्धित बीमारी सहित हृदय व छाती, मधुमेह व उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियों शामिल हैं। मानव शरीर के सूक्ष्म अणुओं की विसंगति के लक्षणों की पहचान व जॉच से पहले ही बीमारियों के होने के बारे में जानकर उनकी रोकथाम की जा सकती है।

यह आसान तरीका है, उन्होनें बांसुरी का उदाहरण देते हुए समझाया कि जैसे एक साधारण बॉस में जब कोई गतिरोध नहीं होता है तो उसमें से कोई आवाज नहीं आती है परन्तु जब उसे बांसुरी बनाया जाता है और हवा के रास्ते में गतिरोध उत्पन्न किया जाता है तो स्वय या आवाज निकलने लगती है इसी तरह हमारे शरीर में फेफड़ों में जाने वाले आक्सीजन के गले के रास्ते में जब किसी भी तरह का गतिरोध उत्पन्न हो जाता है तो उसे ही हम खर्राटें कहते है। राष्ट्रीय सम्मेलन के लिये उन्होनें प्रधानाचार्य प्रोफेसर डॉ वाणी गुप्ता को बधाई देते हुए कहा कि पिछले छः सालों में मेडिकल कालेजों की संख्या करीब दोगुनी हो गई है,

जिसके लिये केन्द्र व राज्य सरकार के नेतृत्व सहित प्रमुख सचिव, चिकित्सा शिक्षा एवं स्वास्थ्य, उत्तर प्रदेश शासन भी बधाई के पात्र है। यह चिकित्सा के क्षेत्र में भारत और उत्तर प्रदेश में एक कान्ति का दौर साबित होने जा रहा है। इस दौरान प्रोफेसर डॉ नर्सिंग वर्मा ने जीवन शैली विकारों पर मोटाबोलोमिक्स का प्रभाव, सटीक चिकित्सा विषय पर विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि स्थिर जीवन शैली अनुचित व अनियमित आहार सम्बन्धी आदतें मोटापा, मधुमेह, उच्च रक्तचाप और हृदय सम्बन्धी बीमारियों से आज दुनिया की बड़ी आबादी प्रभावित है,

इनकी शुरुवाती पहचान और प्रभावी प्रबन्धन से इन पर नियंत्रण किया जा सकता है। इस दौरान अपने-अपने विषयों पर मनोचिकित्सक डॉ अखिलेश शुक्ला, सहायक प्रोफेसर पीआईएमएस लखनऊ डॉ शिवम् वर्मा, पूर्व विभागाध्यक्ष फिजियोलोजी विभाग केजीएमयू लखनऊ प्रोफेसर डॉ यूएस पाण्डेय, रेडियोलोजिस्ट, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी डॉ यूबी सिंह, केजीएमयू लखनऊ प्रोफेसर डॉ राधेश्याम व डॉ प्रोफेसर डॉ सीमा सिंह सहित सीनियर रेजीडेन्ट डॉ इन्द्रेश रजावत ने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम में सीएमएस जिला महिला चिकित्सालय डॉ ज्योति मेहरोत्रा भी मौजूद रहीं। कार्यक्रम सचिव, ईएनटी सर्जन डॉ मनोज शर्मा ने कार्यक्रम का संचालन किया।

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