आगराइट्स बोलें — पहलगाम में ‘नाम’ पूछकर की गई हत्याएं घिनोने आतंकवाद का नया चेहरा, जवाब अब जरूरी है, बस, — अब और नहीं, आइए मिलकर नयी एकता की शुरुआत करें।—-

भारत के सच्चे नागरिकों और अपने बच्चों के सुरक्षित भविष्य के लिए आतंकवादी सोच और आतंक परस्त घर के भेदियों को आर्थिक रूप से मजबूत ना करें।”—-

क्या हम इसी तरह चुप बैठे रहेंगे? क्या यह संभव है कि हम रोज़ की तरह आगे बढ़ जाएं, जैसे कुछ हुआ ही नहीं? शुरुआत अब हमें करनी होगी – आज, अभी, यहीं से नाम पूछो और आर्थिक रूप से और व्यवसायिक रूप से बहिष्कार करें।—-उपेंद्र सिंह

आइए, हम सब मिलकर अब एक ठोस कदम उठाए ताकि आगे ऐसी बर्बर घटनाएं न होने पाएं और भविष्य में निर्दोष भारतीय यूं अपनी जान न गंवाएं।—- समाजसेवी पंकज जैन

अब इनसे पूरी दुनियां तंग आ चुकी हैं, आतंक परस्त घर के भेदियों पर भी कड़ा एक्शन लें सरकार।—- वरिष्ठ समाजसेवी चंद्रवीर सिंह फौजदार

जैसे चोरों की तरह आए घोखेवाज़ कायरो ने बेबजह पहलगाम में निर्दोषों के साथ किया – वैसे ही हम भी अब करें, पर शांति और समझदारी से नाम पूछे – और राष्ट्रहित में अपने बच्चों को एक सुरक्षित भारत देने के लिए निर्णय लें।—– समाजसेवी अरविन्द पुष्कर एडवोकेट

ना पूछो — यह कोई उग्र आंदोलन नहीं, बल्कि सजग और सच्चे भारतीयों की मौन चेतावनी है – कि अब हम चुप नहीं रहेंगे। —- पत्रकार विष्णु सिकरवार

अपील — इनकी अर्थ व्यवस्था को मजबूत मत कीजिए इनकी पुरानी फितरत (कैंसर से बड़ी बीमारी ) हैं, धोखे से मासूम हिन्दुओं को मारना।—–

पहलगाँव के कायराना हमले ने पुरे देश को झकझोर के रख दिया हैं — ऐसा कोई भी अल्लाह को मानने वाला सच्चा बंदा नहीं कर सकता, ऐसी घिनौनी सोच सिर्फ अनियंत्रित जानवरों की ही हो सकती हैं।——

आगरा, संजय साग़र सिंह। देश की सुरक्षा के प्रति राष्ट्रवादी चिंतक की भावना को सशक्त प्रस्तुति एक प्रभावशाली और भावनात्मक विशेष विचार बताया गया है, जो न केवल पाठकों को झकझोरेगा बल्कि समाज को जागरूकता और कार्रवाई के लिए प्रेरित भी करेगा। उन्होंने अपने राष्ट्रवादी संदेश को अधिक प्रभावशाली, संगठित तथा योग्य शैली में इस तरह प्रस्तुत किया है — जिससे देशहित में, यह हर सच्चे भारतीय में जागरूकता फैलाने वाला और एक नयी एकता की शुरुआत करने वाला एक सशक्त घोषणापत्र भी बन सके।

उपेंद्र सिंह ने कहा,”यह अब समय है आतंकवाद समर्थक रुख के खिलाफ़ तत्काल और कठोर कूटनीतिक, आर्थिक व समाजिक कार्यवाही कर जवाब देने का – शांतिपूर्वक, संगठित और दृढ़ संकल्प से। क्या हम इसी तरह चुप बैठे रहेंगे? क्या यह संभव है कि हम रोज़ की तरह आगे बढ़ जाएं, जैसे कुछ हुआ ही नहीं? शुरुआत अब हमें करनी होगी – आज, अभी, यहीं से नाम पूछो और आर्थिक रूप से और व्यवसायिक रूप से बहिष्कार करे ताकि आगे ऐसी बर्बर घटनाएं भविष्य में न होने पाएं और निर्दोष भारतीय यूं कायर धोखेवाज़ आतंकियों के हाथों सहीद ना हो पाएं। यह शोक संकल्प हैं, उन सहीद हुए सभी निर्दोष भारतीयों को सच्ची श्रद्धांजली हैं, यह शपथ हैं, एक सशक्त घोषणापत्र हैं — घिनौनी आतंकी सोच के विरोध हर सच्चे भारतीयों की।

आइए, हम सब मिलकर अब एक ठोस कदम उठाए ताकि आगे ऐसी बर्बर घटनाएं न होने पाएं और भविष्य में निर्दोष भारतीय यूं अपनी जान न गंवाएं।—- समाजसेवी पंकज जैन

समाजसेवी पंकज जैन ने यह बताया कि यह कठिन है, पर राष्ट्रहित और अपनी एवं अपने परिवार कि सुरक्षा के लिए बहुत जरूरी है। एक सप्ताह, दस दिन की असुविधा हो सकती है, लेकिन यदि हम आज एकजुट हो जाते हैं, तो कल हम अपने बच्चों को एक सुरक्षित, सम्मानजनक भारत दे सकेंगे। अब हमें बोलना होगा, उठ खड़े होना होगा, क्योंकि पहलगाम अब केवल एक स्थान नहीं रहा – वह एक खुली चेतावनी बन चुका है। आइए, हम सब मिलकर अब एक ठोस कदम उठाए ताकि आगे ऐसी बर्बर घटनाएं न होने पाएं और भविष्य में निर्दोष भारतीय यूं अपनी जान न गंवाएं।

अब इनसे पूरी दुनियां तंग आ चुकी हैं, आतंक परस्त घर के भेदियों पर भी कड़ा एक्शन लें सरकार।—- वरिष्ठ समाजसेवी चंद्रवीर सिंह फौजदार

वरिष्ठ समाजसेवी चंद्रवीर सिंह फौजदार ने कहा, “मंगलवार 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में जो कुछ हुआ, वह केवल एक आतंकी हमला नहीं था – वह मानवता के नाम पर धब्बा था। वहां निर्दोष पर्यटकों को मजहब पूछकर चुन-चुनकर मौत के घाट उतारा गया। यह घटना जितनी दुखद और पीड़ादायक है, उससे अधिक खतरनाक है। इसके पीछे छुपी जहरीली मानसिकता, जो अब खुलेआम पुरे विश्व के सामने आ चुकी है। यह केवल गोलियों से नहीं, बल्कि जहरीली सोच से किया गया हमला था – वह सोच जो यह तय करती है कि कौन जिएगा और कौन मारा जाएगा, सिर्फ उनके नाम और आस्था के आधार पर। अब इनसे पूरी दुनियां तंग आ चुकी हैं, आतंक परस्त घर के भेदियों पर भी कड़ा एक्शन लें सरकार।

 

ना पूछो — यह कोई उग्र आंदोलन नहीं, बल्कि सजग और सच्चे भारतीयों की मौन चेतावनी है – कि अब हम चुप नहीं रहेंगे। —- पत्रकार विष्णु सिकरवार

पत्रकार विष्णु सिकरवार अपील करते हुए कहा, आतंकवादी सोच और आतंक परस्त घर के भेदियों की अर्थ व्यवस्था को मजबूत मत कीजिए। इनकी पुरानी फितरत (कैंसर से बड़ी बीमारी ) हैं, धोखे से मासूम हिन्दुओं को मारना हैं। पहलगाँव के कायराना हमले ने पुरे देश को झकझोर के रख दिया हैं — ऐसा कोई भी अल्लाह को मानने वाला सच्चा बंदा नहीं कर सकता, ऐसी घिनौनी सोच सिर्फ अनियंत्रित जानवरों की ही हो सकती हैं।

अब सबसे पहले नाम पूछो और ऐसे लोगों को काम न दो जो उस जहरीली सोच से जुड़े हैं। नाम पूछो और ऐसे लोगों व्यापार से दूरी बनाओ जो परोक्ष रूप से उस मानसिकता को पोषित करता है। नाम पूछो और टैक्सी, होटल, दुकान – हर स्तर पर सोच-समझकर देशहित में निर्णय लो। यह कोई उग्र आंदोलन नहीं, बल्कि सजग और सच्चे भारतीय नागरिकों की मौन चेतावनी है – कि अब हम चुप नहीं रहेंगे।

 

पहलगाम में ‘नाम’ पूछकर की गई हत्याएं घिनोने आतंकवाद का नया चेहरा, जवाब अब जरूरी है, बस, — अब और नहीं, आइए मिलकर नयी एकता की शुरुआत करें।—-समाजसेवी अरविन्द पुष्कर एडवोकेट 

आखिर में वरिष्ठ समाजसेवी अरविन्द पुष्कर एडवोकेट ने कहा, “हम दिवंगत आत्माओं को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और उनके परिवारों के प्रति गहन शोक संवेदनाएं प्रकट करते हैं। यह दुख निजी नहीं, राष्ट्रीय है – और अब यह केवल आंसुओं से नहीं, बल्कि संगठित और स्पष्ट कार्रवाई से ही शांत होगा। पहलगाम में ‘नाम’ पूछकर की गई हत्याएं घिनोने आतंकवाद का नया चेहरा, जवाब अब जरूरी है, बस — अब और नहीं।

आइए मिलकर नयी एकता की शुरुआत करें। जैसे चोरों की तरह आए घोखेवाज़ कायरो ने बेबजह पहलगाम में निर्दोषों के साथ किया – वैसे ही हम भी अब करें, पर शांति और समझदारी से नाम पूछे – और राष्ट्रहित में अपने बच्चों को एक सुरक्षित भारत देने के लिए निर्णय लें। आतंकवाद समर्थक रुख के खिलाफ़ तत्काल और कठोर कूटनीतिक, आर्थिक एवं समाजिक कार्यवाही की जाएं।”

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