गांव कनेरी , मोहनलालगं,जलखनऊ।
गांव कनेरी की गौशाला में उमाशंकर पुत्र श्री रामनारायण ग्राम सोनहरा पोस्ट बछरावां जिला रायबरेली तेरह कुंतल भूसा दो कुंतल आटा गायों के भोजन हेतु दान किया है।
गौ आश्रय केंद्र कनेरी विकासखंड मोहनलालगंज में उमाशंकर जो कि ग्राम सुनहरा के रहने वाले हैं पैरों से विकलांग है इसके बावजूद कृषि कार्य व परचून की दुकान चलाते हैं। भागवत पुराण और शिव पुराण में उल्लेखित गौ सेवा के भाव को सुनकर उनके मन में इच्छा जागृत हुई कि उनके खेत में जो भी भूसा या हरा चारा उगेगा उसे वह प्रत्येक वर्ष गायों के भोजन के लिए दान करेंगे। जाड़े के मौसम में एक खेत में हरा चारा बोकर और विभिन्न गौशालाओं में उसे दान करते हैं। पैरों से विकलांग होने के बावजूद हौसले की उड़ान और प्रबल इच्छा शक्ति के बल पर उमाशंकर और अन्य युवकों के लिए प्रेरणा स्रोत बने हुए हैं।

जाड़े में भी हरा चारा उमाशंकर के द्वारा गौशाला को दान में दिया गया था इसकी जानकारी जब ग्राम प्रधान कनेरी बृजेश मौर्य को हुई तो इस बार उन्होंने उमाशंकर से मिलकर उनसे इस हेतु का कारण जानने का प्रयास किया। भयंकर धूप में जहां गौशाला में पानी की कमी और भूसे की कमी अक्सर हम लोग खबरों में देखतेऔर पढ़ते हैं और मन द्रवित होता है परंतु उमाशंकर की यह पहल वाकई अन्य किसानों के लिए प्रेरणा स्रोत है यदि सभी किसान छोटा लालच ना करके अपने खेत में निकला हुआ भूसा गौशाला में दान करें तो गौ माता तथा अन्य जानवरों के लिए तो हितकर होगा ही समाज के लिए एक प्रेरणा का कार्य भी सिद्ध होगा।
शिक्षिका और समाज सेविका रीना त्रिपाठी ने उमाशंकर जैसे युवाओं को समाज के विभिन्न आयोजनों में सम्मानित करने को कहा क्योंकि निस्वार्थ भाव से गायों की सेवा करना जहां हमारे पौराणिक वर्णित है वही हिंदू धर्म में गौ माता का विशेष महत्व है और उनकी सेवा में किया गया प्रत्येक कार्य परलोक सुधारने के लिए कारगर सिद्ध होता है। आज के युवा में जहां एक ओर समाज सेवा या दान की प्रवृत्ति कम होती जा रही है वहीं अक्षम होने के बावजूद अपनी ट्राई साइकिल से विभिन्न गौशालाओं का भ्रमण करके उमाशंकर जैसे युवाओं का यह दान वाकई समाज को प्रेरणा देने का काम करता है। ऐसे युवा भारत माता के सच्चे सपूत और हिंदू धर्म के रक्षक हैं।