Barabanki News: तहसील प्रशासन के लिए मुनाफा जरिया महादेवा कारिडोर योजना  

जारी है अवैध निर्माण अपात्रों पर मुआवजा वर्षा

धारा लक्ष्य समाचार  बाराबंकी। जनपद की तहसील रामनगर स्थित उत्तर भारत का सुप्रसिद्ध तीर्थ महादेवा को पर्यटन स्थल रूप में भव्यता और विकास के लिए कृत संकल्प योगी सरकार द्धारा 49 करोड़ की एक और मंजूरी और कॉरिडोर क्षेत्रफल में बढ़ोतरी से शिव भक्तों में अत्यंत प्रसन्नता है।

तो वहीं अवसर लाभ के महारथी तहसील कार्मिकों की गतिविधियां निज स्वार्थ में परवान चढ़ी है। बताते हैं कि क्षेत्रीय लेखपाल व कानूनगो स्थानीय लोगों को कॉरिडोर एरिया बढ़ने की बात बता कर उन्हें अधिक मुआवजा राशि लेने के लिए दीवारें व मकान आदि निर्माण करने का कमाऊ मंत्र दे रहे हैं।

परिणाम स्वरूप जो लोग मडैया रख कर रह रहे थे और साल भर से जो सहमें बैठे थे उन्होंने नव निर्माण शुरू कर दिया है। जिनके पास धन नहीं है वह भी उधार व्यवहार काढ कर निर्माण कराने लगे हैं। ग्रामवासी सूत्रों की माने तो क्षेत्रीय लेखपाल की संलिप्तता और दलालों की सक्रियता से यह गोरखधंधा परवान चढ़ा है। श्रम विभाग की मौन स्वीकृति भी यहां कम आश्चर्जनक नहीं।

तहसील प्रशासन और अवसर

महादेवा कॉरिडोर के लिए प्रस्तावित एवं अधिग्रहण वाले क्षेत्र में नवनिर्माण युद्ध स्तर पर जारी है। आबादी और सार्वजनिक भूमि पर भी निर्माण में लोग आगे आए हैं यहां तक कि लोग तालाब भूमि को भी हथियानें में पीछे नहीं। लेखपाल व यहां के अवसरवादियों में साठगांठ चर्चा का विषय बनी है।

कहते हैं तीर्थ का विकास जब तब होगा फिलहाल तहसील कार्मिकों का मालामाल होना अवश्यसंभावी। बताते हैं कि तहसील प्रशासन जिस पर मेहरबान हुआ सूची में अंकित धनराशि से अधिक मुआवजा धनराशि उसे मिली। संस्कृत पाठशाला का मुआवजा इसका प्रमाण है, हालांकि मठ/मंदिर के रिसीवर की शिकायत पर अवैध बैनामा के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई।

डीएम के तबादला पश्चात बढ़ी निरंकुशता”

जिलाधिकारी रहे सत्येंद्र कुमार के तबादला पश्चात तहसील अधिकारी बिल्कुल बेलगाम हुए। महादेवा स्थित एक तालाब के पतट्टाधारी ने लेखपाल की साठगांठ से तालाब भूमि पर बनाया गया मकान बेच लिया। अब जब कॉरिडोर का परिक्षेत्र बढ़ा तो वही पट्टाधारी फिर से तालाब भूमि पर नया मकान बनाने लगा। तालाब भूमि पर अवैध निर्माण की शिकायत हुई लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात।

स्थानीय क्षेत्र पंचायत सदस्य द्वारा जिस अवैध निर्माण की शिकायत जनता दर्शन में जिलाधिकारी से की गई, तहसील प्रशासन की मेहरबानी कहे या साठगांठ कि उस अवैध कब्जेदार को लोक निर्माण विभाग ने 12 लाख से अधिक मुआवजा दे डाला। क्षेत्र पंचायत सदस्य सतीश यादव कहते हैं कि तीर्थ का विकास जब तब होगा वर्षों बाद लोग रोजगार पाएंगे, लेकिन तहसील कर्मियों का विकास तो तत्काल ही हो रहा है।

महादेवा तीर्थ, तालाब अतिक्रमित , हुई जनहित याचिका

महादेवा मठ मंदिर की मान सम्मान एवं संपत्ति पर बढ़ते अतिक्रमण को लेकर शिव भक्तों द्वारा जनहित याचिका भी की गई।शिवार्चन तालाब पर दूसरे समुदाय के व्यक्ति द्वारा कांप्लेक्स निर्माण की रपट तहसील प्रशासन द्वारा उच्च न्यायालय में प्रस्तुत की गई। एसडीएम द्वारा कोर्ट में अंडरटेकिंग भी दी ! करेंसी प्रभाव की उस असामाजिक तत्व द्अवारा अवैध निर्माण पर रोक थाम नहीं की गई।

अंततः अवैध निर्माण के प्रमाण जब उच्च न्यायालय में प्रस्तुत हुए तो डीएम,एसडीएम व एस.एच.ओ तथा निर्माण कर्ता रियाज, न्यायालय की अमानना के भागीदार बनें। लोधेश्वर महादेवा शुश्रूषा ट्रस्ट के महंत बी.पी दास के मुताबिक अवमानना प्रकरण उच्च न्यायालय में अभी भी जीवंत है। महंत जी के साथ ही अन्य तमाम शिव भक्तों द्वारा शिवार्चन तालाब पर प्रतिक्रमण को लेकर धरना प्रदर्शन किया गया।

परंतु तहसील प्रशासन के कांन पर जूं नहीं रेंगा। सुखद प्रकरण गर्माया और इसी बीच गौरक्ष पीठाधीश्वर सीएम योगी आदित्यनाथ जी महाराज बाढ़ पीड़ितों को राहत सामग्री वितरण करने रामनगर महादेवा आ गए! उनके करीबी मंत्री सतीश चंद्र शर्मा ने विषय-वस्तु से उनको अवगत कराया और तभी बनी महादेवा कॉरिडोर की प्रस्तावना।

बीते वर्ष डीएम रहे सत्येंद्र कुमार के अद्वितीय प्रयास से संसदीय चुनाव में आचार संहिता प्रभावी होने के एक दिन पूर्व महादेवा कॉरिडोर की मंजूरी मिली। चालू वित्तीय वर्ष 31 मार्च को महादेवा कॉरिडोर योजना को विस्तृत रूप मिला और‌ मंजूरी के साथ 49 करोड़ और स्वीकृत हुए। मंत्री सतीश शर्मा का सराहनीय प्रयास की कॉरिडोर अंचल को भव्यता की भी स्वीकृति मिली। अब जब कॉरिडोर क्षेत्र सीमा बढ़ाया जाना है,

अवसर का लाभ भुनाने में राजस्व कर्मी भला क्यों पीछे रहें। और फिर शुरू हो गया सार्वजनिक मार्ग व तालाब भूमि पर अवैधानिक निर्माण का सिलसिला।

यहां काबिलेगौर यह है कि उच्च न्यायालय द्वारा पीआईएल 509 में तहत अतिक्रमण के विरुद्ध पारित आदेश,तहसील प्रशासन के लिए लाभ का जरिया बना है । ज्वलंत प्रमाण है महंत मठ की बाग में बने दो दर्जन से अधिक गैर हिन्दूओं के मकान प्रतिष्ठान।

सार्वजनिक मार्ग एवं मंदिर की भूमि पर अवैध कब्जाधारियों को तहसील प्रशासन द्वारा दिल खोलकर मुआवजा से उपकृत किया जा रहा है। शिवभक्त याची वरुण सिंह,व शिवभक्त अजय कुमार बताते हैं कि मंदिर के आसपास कई लोगों के भवन मकान जो कॉरिडोर सीमा में है,तहसील कर्मियों द्वारा उन्हें चिन्हित नहीं किया गया है

अब इसके पीछे की मंशा तो तहसील कर्मी ही अच्छे से बता सकते हैं लेकिन चर्चा यह है कि भविष्य में यह लोग कॉरिडोर योजना में कहीं बड़ी समस्या बनकर नि खड़े हो जाएं ?

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