Ambedakarnagar news: अंबेडकरनगर पुलिस की कार्यशैली पर उठ रहे सवाल

अंबेडकर नगर पुलिस की कार्यशैली पर आए दिन सवाल उठाते रहते हैं। ताजा मामला अंबेडकरनगर जिले के जहांगीरगंज का है जहां पर एक स्वतंत्र पत्रकार पर गैरजिम्मेदाराना तरीके से मुकदमा दर्ज कर लिया गया। दरअसल यह मुकदमा इसलिए दर्ज किया गया ताकि पत्रकार जो लोगों की आवाज उठाता है ।

उसे परेशान किया जा सके। बता दें कि पिंटू कुमार अंबेडकरनगर समेत आसपास के कई जिलों में अपनी स्वतंत्र पत्रकारिता के माध्यम से गरीब और पिछड़े लोगों की आवाज को बुलंद करते हैं। यही नहीं अगर कहीं पर कोई अन्याय या फिर अत्याचार हुआ होता है तो वहां पहुंचकर वह न्याय दिलाने के लिए अधिकारियों से लड़ भी जाते हैं। उनकी यही कार्यशैली प्रशासन को पसंद नहीं आई और पुलिस ने उन पर बिना जांच पड़ताल के ही फर्जी मुकदमा दर्ज कर लिया। पिंटू कुमार द्वारा दी गई।

जानकारी के मुताबिक 6 मई को वह वीरेंद्र कुमार के सिंघम फार्मेसी एवं फिजियोथैरेपी सेंटर नामक अस्पताल पर अपना इलाज कराने के लिए गए थे। इसी दौरान उनकी कथित डॉक्टर से अस्पताल के संबंध में कुछ बातचीत हो रही थी। इसी दौरान वहां पर बैठे अखिलेश जायसवाल नामक व्यक्ति ने उनकी बात का विरोध किया। इसी पर कुछ कहा सुनी हुई।

पिंटू कुमार का आरोप है कि अखिलेश जायसवाल ने उन्हें जाति सूचक शब्दों का प्रयोग करके संबोधित किया, गाली गलौज दी और जान से मारने की धमकी भी दी। इस मामले में उन्होंने स्थानीय थाने पर मुकदमा दर्ज कराया और कार्रवाई की मांग की। इसी मामले में कथित डॉक्टर वीरेंद्र कुमार ने भी पिंटू कुमार पर रंगदारी मांगने, जान से मारने की धमकी देने, मारपीट करने और गाली गलौज देने का भी आरोप लगाया है।

पुलिस ने पिंटू कुमार पर भी तहरीर मिलते ही मुकदमा दर्ज कर लिया। पत्रकार पर मुकदमा दर्ज करने से पहले सीओ स्तर की जांच होनी चाहिए ऐसा आदेश कुछ दिन पहले पुलिस विभाग के उच्च अधिकारियों द्वारा दिया गया था। पुलिस से सवाल लिया है कि क्या इस मामले में पिंटू कुमार पर मुकदमा दर्ज करने से पूर्व सीओ स्तर की जांच हुई ?

और यदि जांच हुई तो पिंटू कुमार का दोष क्या पाया गया ? क्या पिछड़े और दलित समाज के लोगों की आवाज उठाने की पिंटू कुमार को सजा मिली ? बड़ा सवाल तो यह है की फर्जी तरीके से बिना डिग्री और बिना रजिस्ट्रेशन के अस्पताल खोलकर लोगों के जान के साथ जो लोग खिलवाड़ कर रहे हैं उन पर कब कार्रवाई होगी ?

प्रशासन ने तो पत्रकार पर कार्रवाई करने में बड़ी तत्परता दिखाई! अब क्या जो लोग मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं उन पर भी कार्रवाई होगी ? प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने झोलाछाप डॉक्टरों के अस्पताल को बंद करने का निर्देश दिया था। जनपद के मुख्य चिकित्सा अधिकारी से यह सवाल है कि फर्जी तरीके से चल रहे सिंघम फिजियोथैरेपी एंड ऑर्थो केयर सेंटर जहांगीरगंज और सर्फदत आग्नीता हेल्थ केयर सेंटर बावली चौक जहांगीरगंज नामक दोनों अस्पताल के पास कौन सा रजिस्ट्रेशन है कि उन्हें बंद नहीं किया गया ?

क्या साहब के पास भी माल पहुंच जाता है या फिर अस्पताल संचालक की साँठगांठ ऊपर तक है ? क्या खबर चलने के बाद इस अस्पताल संचालक पर कोई कार्रवाई हो पाएगी या फिर से साहब माल लेकर मामले को रफा दफ़ा कर देंगे ? फिलहाल सवाल तो कई उठ रहे हैं लेकिन जवाब कौन देगा यह बड़ा सवाल है…!

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