त्रिमोहन मिश्रा ‘ट्री मैन’, आगरा
मैं, त्रिमोहन मिश्रा ‘ट्री मैन’, आगरा से एक विनम्र निवेदन और सशक्त अपील के साथ यह प्रेस नोट जारी कर रहा हूं।
सड़कों, गलियों और मोहल्लों में दिखने वाले कुत्तों को हम ‘आवारा’ कहकर पुकारते हैं, जबकि सच्चाई यह है कि इंसान ने ही इन्हें आवारा बना दिया है। इनका भी एक परिवार होता है, मां होती है, ममता होती है। ये भी इस धरती पर कुछ खास कर्म करने आए हैं। इनकी उपेक्षा, हिंसा और तिरस्कार ने इन्हें सतर्क बना दिया है, खूंखार नहीं।
कुत्ते केवल वफादार नहीं, सच्चे रक्षक भी हैं। वे चौकीदार हैं, खतरे की आहट पहचानते हैं, और बिना किसी परीक्षा के सुरक्षा की ड्यूटी निभाते हैं। हमारे देश की सीमाओं पर, बम सूंघने से लेकर जान की बाज़ी लगाने तक, इन्होंने जो योगदान दिया है, वह अमूल्य है।
समस्या उनकी नहीं है, समस्या उनकी उपस्थिति से परेशान उस सोच की है जो अपने स्वार्थ के लिए इनकी जगह मिटाना चाहती है। अगर बचपन से हम बच्चों को जानवरों से प्रेम करना सिखाएं, तो ये डर नहीं, दोस्ती लौटाएंगे।
कई बार देखा गया है कि कुछ लोग सिर्फ धार्मिक अवसरों पर इनको खाना देकर ‘धर्म’ निभाते हैं, बाकी समय इन्हें पत्थर, डंडे और गालियाँ मिलती हैं। इनकी संख्या को खत्म करना कोई समाधान नहीं है। नसबंदी के उपाय पहले से चल रहे हैं, लेकिन करुणा और सहअस्तित्व की भावना ही स्थायी हल है।

मैं हाथ जोड़कर निवेदन करता हूं – कृपया इन प्राणियों के प्रति दृष्टिकोण बदलें। इन्हें समझें, इन्हें अपनाएं।
अगर ये एक रात को भी आपकी सुरक्षा में चूक जाएं, तो आप खुद महसूस करेंगे कि इनका होना कितना ज़रूरी है।
मैं खुद अपनी जान प्रकृति और इन बेज़ुबानों के लिए दे सकता हूं – इतना प्रेम करता हूं इनसे।
किसी को कष्ट नहीं देना चाहता, सिर्फ जगाना चाहता हूं।
प्रकृति से मत खेलिए, क्योंकि वही हमारी मूल मां है।
अपील: स्कूल, कॉलेज, घर में सोशल मीडिया के माध्यम से इनके साथ प्रेम के लिए जागरूक करें, ये इस प्रकृति के हिस्सेदार हैं।
