धारा लक्ष्य समाचार पत्र
विशाखापत्तनम। भारत ने अपनी ‘पड़ोसी प्रथम’ नीति के अनुरूप, विशाखापत्तनम में ‘भविष्य की दिशा: नीली अर्थव्यवस्था, नवाचार और सतत भागीदारी’ विषय पर आधारित दूसरे बिम्सटेक बंदरगाह सम्मेलन की मेजबानी की। इस दो दिवसीय सम्मेलन का समापन 15 जुलाई को हुआ, जिसमें बंगाल की खाड़ी के महासागरीय तटीय देशों के बीच क्षेत्रीय समुद्री संपर्क और सहयोग बढ़ाने की अटूट प्रतिबद्धता पर विचार-विमर्श किया गया।
बंगाल की खाड़ी बहु-क्षेत्रीय तकनीकी एवं आर्थिक सहयोग पहल (बिम्सटेक) बंदरगाह सम्मेलन का उद्घाटन सोमवार को केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने किया। सम्मेलन के दौरान बिम्सटेक के सदस्य देशों- भारत, बांग्लादेश, भूटान, म्यांमार, नेपाल, श्रीलंका और थाईलैंड के मंत्रालयों के प्रतिनिधि तथा बंदरगाह प्राधिकरणों के अधिकारियों ने अपने विचार रखे।

अपने संबोधन में केंद्रीय मंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन 2030 और 2047 के अनुरूप, केंद्र सरकार के दीर्घकालिक समुद्री दृष्टिकोण के प्रमुख घटकों को प्रस्तुत किया। बिम्सटेक महासचिव इंद्र मणि पांडे ने बिम्सटेक विजन 2030 की रूपरेखा साझा की और बताया कि मास्टर प्लान के तहत वर्तमान में 267 परिवहन संपर्क परियोजनाएं प्रगति पर हैं। उन्होंने विशाखापत्तनम में समुद्री परिवहन में एक बिम्सटेक उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने का प्रस्ताव रखा और रीयल-टाइम कार्गो ट्रैकिंग तथा स्थायी बंदरगाह प्रथाओं की योजनाओं की रूपरेखा प्रस्तुत की।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बुधवार को सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा सम्मेलन में बिम्सटेक सदस्य देशों के प्रतिनिधिमंडलों ने भाग लिया, जिनमें अधिकारी, समुद्री विशेषज्ञ, बंदरगाह प्राधिकरण, निजी क्षेत्र के लीडर्स और क्षेत्रीय विकास भागीदार शामिल थे। विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई, जिनमें सीमा शुल्क प्रक्रियाओं में सामंजस्य स्थापित करने से लेकर व्यापार, पर्यटन, डिजिटल एकीकरण, उद्योग-अकादमिक संबंध, हरित नौवहन आदि को बढ़ावा देने के लिए रसद संपर्कों को बढ़ाना शामिल है। यह पहल बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में समुद्री सहयोग को और मजबूत करेगी।
(रिपोर्ट. शाश्वत तिवारी)
