धारा लक्ष्य समाचार पत्र
New delhi news : विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने संसद में साफ तौर पर कहा है कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा किसी तरह की मध्यस्थता नहीं की गई। उन्होंने कहा कि 22 अप्रैल से 17 जून तक पीएम नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच कोई बात ही नहीं हुई थी तो फिर मध्यस्थता का सवाल ही कहां है।
लोकसभा में 28 जुलाई को हुई बहस के दौरान विदेश मंत्री ने कहा पहलगाम हमले के बाद एक स्पष्ट, मजबूत और दृढ़ संदेश भेजना जरूरी था। पाकिस्तान ने सारी सीमाएं पार कर दी थी और हमें यह स्पष्ट करना था कि इसके गंभीर परिणाम होंगे। पहला कदम, जो उठाया गया, वह यह था कि 23 अप्रैल को सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति की बैठक हुई।
उस बैठक में यह निर्णय लिया गया कि 1960 की सिंधु जल संधि तत्काल प्रभाव से तब तक स्थगित रहेगी, जब तक कि पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को अपना समर्थन विश्वसनीय और अपरिवर्तनीय रूप से त्याग नहीं देता।
उन्होंने बताया कि समिति ने फैसला किया कि एकीकृत चेक पोस्ट अटारी को तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया जाएगा। एसएआरसी वीजा छूट योजना के तहत यात्रा करने वाले पाकिस्तानी नागरिकों को अब ऐसा करने की अनुमति नहीं होगी।

पाकिस्तानी उच्चायोग के रक्षा, नौसेना और वायु सलाहकारों को अवांछित व्यक्ति घोषित किया जाएगा और उच्चायोग की कुल संख्या 55 से घटाकर 30 कर दी जाएगी।
विदेश मंत्री ने बताया कि यह बिल्कुल स्पष्ट था कि पहलगाम हमले पर भारत की प्रतिक्रिया यहीं नहीं रुकेगी। कूटनीतिक दृष्टिकोण से, विदेश नीति के दृष्टिकोण से, हमारा कार्य पहलगाम हमले को लेकर पाकिस्तान की पोल खोलना था। उन्होंने कहा हमने अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने पाकिस्तान द्वारा सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने के मामले को उजागर किया।
हमने पाकिस्तान में आतंकवाद की कुंडली को खंगाला और बताया कि कैसे इस विशेष हमले का उद्देश्य जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था को निशाना बनाना और भारत के लोगों के बीच सांप्रदायिक कलह फैलाना था।
वहीं राज्यसभा में 29 जुलाई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर बोलते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि हमारे सुरक्षा बलों ने 22 अप्रैल को पहलगाम में 26 लोगों की हत्या करने वाले द रेजिस्टेंस फ्रंट के तीन आतंकवादियों को सफलतापूर्वक मार गिराया है।
(रिपोर्ट. शाश्वत तिवारी)
