गृहस्थ आश्रम सबसे श्रेष्ठ आश्रम है, इसमें कर्मों का लेना – देना अदा हो जाता है – बाबा उमाकान्त जी महाराज* 

अगर भगवान मिलेगा तो इसी मनुष्य शरीर में मिलेगा और जहाँ गृहस्थ आश्रम में आप रहते हो वहीं मिलेगा बाराबंकी। बाबा उमाकान्त जी महाराज ने कहा कि गृहस्थी को मत छोड़ो। इस समय जो गृहस्थी को छोड़ कर के जाएगा भगवान उसको स्वप्न में भी नहीं मिलेगा। जो मनुष्य शरीर छोड़ कर के गया उसको भगवान ना आज तक मिला और ना ही मिलेगा। अगर मिलेगा तो इसी मनुष्य शरीर में मिलेगा और जहाँ गृहस्थ आश्रम में आप रहते हो वहीं मिलेगा। गृहस्थी बहुत अच्छी है। जो लोग गृहस्थी को…

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