महेश सिंह धारा लक्ष्य समाचार
लखनऊ, हम बात कर रहे राजधानी के टॉप जगह गोमती नगर की जो लखनऊ का गौरव कहलाता है। जहां पर चौड़ी सड़कें, खूबसूरत पार्क, और आधुनिक इमारतों से सजा यह क्षेत्र आज मानवता की एक अनदेखी त्रासदी का प्रतीक बन गया है। यहां की गलियों में नाला नहीं बहता, यहां बहती है तिल-तिल कर मरती उम्मीदें, हर दिन दम घोंटती हवाएं। यहां के घरों की खिड़कियां, दरवाजे खुलते ही हवाओं के साथ लिपटी आती है नाले की दुर्गंध।
कहां से कहा तक खुला नाला
राम भवन से लेकर दयाल होटल तक फैला एक लंबा खुला नाला जो लोगों के साथ नौनिहालों की भी ज़िंदगी का मज़ाक बना रहा है। रहवासियों के लिए यह नाला अब सिर्फ बदबू या गंदगी का स्रोत नहीं, बल्कि रोज़मर्रा की यातना का पर्याय भी बन चुका है। हाइड्रोजन सल्फाइड, अमोनिया, और मिथेन जैसी गैसें यहां के वातावरण में घुलकर एक ऐसा ज़हर बन गई हैं जो नज़र नहीं आता, मगर फेफड़ों में उतरता चला जाता है।
नौनिहालों में फेफड़ों का खतरा
बच्चों को सांस की तकलीफ, स्किन एलर्जी, आँखों में जलन ये कोई मेडिकल रिपोर्ट नहीं, ये यहां के हर तीसरे घर की कहानी है।
कुसुम जी ने क्या कुछ कहा
कुसुम देवी 68 वर्षीय कहती हैं, रात में खिड़की बंद करने से भी कोई फर्क नहीं पड़ता… जैसे ये बदबू अब घर की दीवारों में बस गई हो।
रवि शंकर ने क्या कुछ कहा
स्थानीय निवासी रवि शंकर बताते हैं, गैस और नमी से इलेक्ट्रॉनिक चीज़ें बार-बार खराब होती हैं। हर दो महीने में कूलर रिपेयर, इन्वर्टर डेड, ये सिर्फ बिजली की बर्बादी नहीं, हमारी कमर तोड़ने वाली सच्चाई भी है।
कानून सिर्फ किताबों में हकीकत में नाला राज
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल और हाई कोर्ट के स्पष्ट आदेश हैं कि आबादी वाले क्षेत्रों में खुले नालों को ढकना अनिवार्य है।
पर गोमती नगर में ये आदेश सिर्फ कागज़ों पर हैं। धरातल पर, नालों की गहराई में प्रशासन की चुप्पी गूंजती नजर आ रही है।

आश्चर्य तो तब होता है जब रसूख वाले इलाके का नाला ढका मिल जाता है। और आम आदमी के घरो के आगे वही नाला खुला छोड़ दिया जाता है। क्या यह हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था की असमानता नहीं, क्या एक नागरिक की सांसों का मूल्य उसकी पहुंच से तय किया जाएगा,
कई शिकायतों के बाद भी नीद से अभी तक नहीं जगा प्रशासन
स्थानीय लोग बताते हैं कि कई बार नगर निगम को पत्र लिखा गया, अधिकारियों से गुहार लगाई, लेकिन हर बार जवाब वही काम प्रक्रिया में है
प्रक्रिया की यह रफ्तार कब चलेगी,जब कोई बच्चा दम घुटने से अस्पताल पहुंचेगा या जब कोई बुजुर्ग नींद में ही सांस लेना छोड़ देगा।
आइए जाने जनता की मांग
1. इस नाले को तत्काल प्रभाव से ढकने का आदेश पारित किया जाए।
2. गैस उत्सर्जन का पर्यावरणीय मूल्यांकन हो और स्वास्थ्य आपदा घोषित किया जाए।
3. मेडिकल सहायता के लिए विशेष टीम यहां तैनात हो।
4. नगर निगम और स्मार्ट सिटी अधिकारियों की जवाबदेही तय हो।
5. इस क्षेत्र को संवेदनशील स्वास्थ्य क्षेत्र,घोषित कर प्राथमिकता से कार्यवाही हो।
अब देखने वाली बात यह होगी क्या खुले नालों वाले क्षेत्र को स्मार्ट सिटी का दर्जा दिया जाता है या ढके नालों को।
फिलहाल ऐसी ही जनसमस्याओं को धारा लक्ष्य समाचार प्रमुखता से प्रकाशित करता रहेगा जब तक यहां की जनता के हित का कार्य नहीं शुरू हो जाता।
