हाईकोर्ट के आदेश के बाद ‘बैडवर्क’ में बदल सकता है जैदपुर पुलिस का ‘गुडवर्क

हाईकोर्ट के आदेश से पुलिस महकमे में मचा हड़कंप

धारा लक्ष्य समाचार 

बाराबंकी यूपी।। (अब्दुल मुईद) 21 नवंबर 2023 को जैदपुर पुलिस ने जिस मार्फीन तस्करों को पकड़ लेने का गुडवर्क करके अपनी पीठ ठोकी दर असल वह बिल्कुल सहीम पुत्र तसव्वर टिकरा के केश जैसी राह पर पहुच गया है। इस मामले में हाईकोर्ट ने 21 अप्रैल 2025 फहीम जैसा आदेश जारी करके पुलिस खेमे की नींद उड़ा दी है। इस आदेश के बाद अगर यह “गुड वर्क” दूसरी बार भी “बैडवर्क” में बदला तो यह जैदपुर थाने का दूसरा ऐसा केस साबित होगा जो सरासर मनगढंत स्टोरी तैयार करके युवकों को पुलिस फिल्मी स्टाइल में स्मगलर बना कर अच्छी खासी जिंदगी में अपराध की नुकीली कील ठोंकने की माहिर खिलाड़ी बनती नजर आएगी है। फिलहाल स्पस्ट आदेश में हाईकोर्ट ने कहा है कि आरोपी व पुलिस वालों का लोकेशन साक्ष्य सीसी पुटेज सुरक्षित किया।

 

पुलिस ने इस तरह रची अपनी कहानी

पुलिस अपनी ईएफआईआर में लिखा की मुखबिर की सूचना हरक जाने वाली रोड पर चंदौली नहर पुलिया आरोपी हसनैन समेत चार लोगों को पकड़ कर जमा तलाशी ली जिसमे मार्फीन पायी गयी । जबकि पीड़ित का दावा है कि वह खुर्रम नगर सी ब्लाक पर जूस और फल की दुकान लगाकर खड़ा था इसी बीच पुलिस ने उसे उठा लिया और बाराबंकी लाकर पहले उगाही की कोसिस की फिर मार्फीन में चलाना कर दिया

 

*..आइये आपको ले चलते है जैदपुर थाना*

उदाहरण नम्बर 1 :

एक साल पूर्व एक तस्कर को 3 किलो मारफीन में जेल भेजने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने अपर एवं जिला सत्र न्यायाधीश कोर्ट नंबर 10 बाराबंकी के 22 दिसंबर 2023 के फैसले को रद्द करते हुए नया आदेश जारी किया था। इस मामले की पैरवी कर रहे उच्च न्यायालय के अधिवक्ता फारूक अय्यूब ने बताया कि हाईकोर्ट ने अपने आदेश मे कहा है कि निचली अदालत ने आवेदक मो. सहीम पुत्र तसव्वर की दलील पर विचार किये बिना ही उसे सरसरी तौर पर खारिज कर दिया।

श्री अय्यूब ने बताया कि हाईकोर्ट ने (राज्य बनाम सहीम) मामले में अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश, कोर्ट संख्या 10, बाराबंकी द्वारा पारित आदेश दिनांक 22.12.2023 को रद्द कर दिया है और ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया है कि वह हाईकोर्ट द्वारा पारित आदेश में की गई टिप्पणियों को ध्यान में रखते हुए आवेदक द्वारा दायर आवेदन पर नए सिरे से निर्णय ले। हाईकोर्ट के माननीय न्यायाधीश सुभाष विद्यार्थी ने अपने आदेश में स्पष्ट रूप से कहा था कि लखनऊ से लेकर बाराबंकी तक सहीम को पकड़ कर लाने वाले दरोगा आलोक सिंह, सिपाही अमित, महेश सिंह और आरोपी का लोकेशन सार्वजनिक स्थानों पर लगे कैमरों के सीसीटीवी फुटेज और कॉल डिटेल रिकॉर्ड, बतौर साक्ष्य इकठ्ठा किये जायें। इस मामले जब सबूत इकठ्ठा किये गए तो पुलिस की कहानी के सब कुछ विपरीत मिला और केश छूट गया। इसी तर्ज पर दूसरा मामला सामने गया जो बिल्कुल सेम है।

*जानिए क्या था पूरा मामला*

थाना जैदपुर के टिकरा गांव निवासी सहीम पुत्र तसव्वर ने हाईकोर्ट से गुहार लगाते हुए बताया था कि साढू के लड़के मुन्तसिर को बोर्ड की परीक्षा दिलाने वह दिनांक 26.02.23 को लखनऊ गया था। रात हो जाने के कारण वह मलेशेमऊ लखनऊ में रूक गया था। दिनांक 27.02.23 को समय लगभग 10 बजे प्रातः कुछ पुलिस वाले वहाँ आकर जबरन अपने साथ पकड़ कर जैदपुर थाने ले आये और थाने पर बैठा कर घर वालो से नाजायज धन की मांग करते रहे। मांग पूरी न होने पर मार्फीन बरामदगी का फर्जी केस बनाकर जेल भेज दिया।

 

*उदाहरण नम्बर 2:* 

■ *क्या फर्जी साबित होगा यह भी पुलिस का गुडवर्क ?*

हाईकोर्ट के अधिवकता वकील फारूक अय्यूब ने बताया कि 21 अप्रैल 2025 को बाराबंकी के मरकामऊ निवासी हसनैन पुत्र कमरुद्दीन ने हाईकोर्ट ने में अर्जी लगाई की मुझे फंसाया गया है। हसनैन ने कुछ खास स्थानों पर लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज और गिरफ्तार करने वाले पुलिस महेश शैलेश अखिलेश चौधरी गुफरान के मोबाइल नम्बरो की सीडीआर तलब करने के लिए निचली अदालत में अर्जी दी थी लेकिन निचली अदालत ने उसकी अर्जी को खारिज कर दिया था। जिसके बाद पीड़ित ने हाईकोर्ट में गुहार लगाई थी। पीड़ित का दावा है कि उसके मामले से जुड़ी सीसीटीवी फुटेज और मोबाइल नम्बरो की सीडीआर सामने आने के बाद पुलिस का गुडवर्क फर्जी साबित हों जाएगा।

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