छठे दिन देवी माहेश्वरी श्रीजी ने भक्ति, प्रेम और समर्पण का संदेश दिया
उरई (जालौन)। राजकीय इंटर कॉलेज मैदान में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिन कथा व्यास देवी माहेश्वरी श्रीजी ने श्रद्धालुओं को भगवान श्रीकृष्ण और रुक्मिणी के विवाह प्रसंग का रसपान कराया। कथा में देवी माहेश्वरी ने कहा कि जैसे हम अपने घरों में बेटियों के विवाह का उत्सव मनाते हैं, उसी प्रकार भगवान श्रीकृष्ण और रुक्मिणी का विवाह भी भव्य उत्सव के रूप में मनाया गया है।

कथा व्यास ने बताया कि रुक्मिणी जी, जो सुंदरता और भक्ति की प्रतीक थीं, ने अपने पिता के विरोध के बावजूद भगवान श्रीकृष्ण को अपना पति स्वीकार किया। भगवान श्रीकृष्ण ने रुक्मिणी के प्रेम और भक्ति को सम्मान देते हुए उनका अपहरण कर विवाह किया। यह विवाह सच्चे प्रेम, भक्ति और ईश्वर के प्रति समर्पण का अनुपम उदाहरण है।
देवी माहेश्वरी श्रीजी ने श्रद्धालुओं को भगवान श्रीकृष्ण और रुक्मिणी के जीवन से सच्ची भक्ति, प्रेम और समर्पण की भावना को आत्मसात करने का संदेश दिया। कथा के समापन पर परीक्षित बने करण सिंह राजपूत एवं उनकी पत्नी तारा राजपूत ने आरती उतारी और उपस्थित भक्तों के बीच प्रसाद वितरण किया गया।
