Balrampur: उतरौला तहसील भवन का मुख्य द्वार अतिक्रमण के कारण बंद

धारा लक्ष्य समाचार

विनय कुमार बलरामपुर ब्यूरो चीफ उतरौला तहसील भवन का वह ऐतिहासिक मुख्य द्वार, जिससे कभी सैकड़ों लोग प्रतिदिन निर्बाध रूप से तहसील परिसर में प्रवेश किया करते थे, आज अतिक्रमण, गंदगी और प्रशासनिक उदासीनता का जीता-जागता उदाहरण बन चुका है। इस द्वार के बाहर वर्तमान समय में अतिक्रमणकारियों का कब्जा है, और भीतर कूड़े-कचरे का ढेर तथा जंग खाई रेलिंग व्यवस्था की बदहाली को बयां कर रही है।

स्थानीय लोगों और वरिष्ठ नागरिकों के अनुसार, जब उतरौला तहसील भवन का निर्माण हुआ था, तब यही द्वार आम जनता और अधिकारियों के आने-जाने का प्रमुख मार्ग था। इसकी चौड़ाई इतनी अधिक थी कि दो गाड़ियां एक साथ निकल सकती थीं। आज यह गेट पूरी तरह से बंद पड़ा है और इसके इर्द-गिर्द की दीवारें काई और दरारों से जर्जर हो चुकी हैं।

वर्तमान में जिस द्वार से तहसील में प्रवेश की अनुमति है, वह न केवल अत्यंत संकरा है, बल्कि उससे प्रतिदिन आने-जाने वाले वकीलों, फरियादियों, दस्तावेज़ कार्य से पहुंचे नागरिकों और अधिकारियों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ता है। आए दिन जाम की स्थिति उत्पन्न होती है, जिससे समय की बर्बादी तो होती ही है, साथ ही आपसी विवाद की नौबत भी आ जाती है।

इस मुख्य गेट के अंदर की स्थिति और भी चिंताजनक है। तस्वीर में स्पष्ट देखा जा सकता है कि वहां एक विशाल वृक्ष दीवारों के बीच उग आया है, जिसकी डालियां अब रास्ता रोक रही हैं। नीचे पॉलीथीन, प्लास्टिक की बोतलें, टूटी हुई ईंटें और अन्य कचरे का अंबार फैला हुआ है। जहां कभी लोगों की चहल-पहल रहती थी, वहां अब गंदगी और सन्नाटा पसरा है।

नगरवासियों और तहसील आने-जाने वालों में इस बदहाली को लेकर आक्रोश है। उनका कहना है कि यदि यह गेट पुनः चालू कर दिया जाए और इसके आस-पास की सफाई व मरम्मत कर दी जाए, तो न केवल जाम की समस्या का समाधान होगा, बल्कि तहसील परिसर की गरिमा भी लौटेगी।

स्थानीय लोगों ने मांग की है कि अतिक्रमण हटाया जाए और गेट को आमजन के लिए खोला जाए। गेट के भीतर और बाहर सफाई कराई जाए, कचरा हटाया जाए। सुरक्षा के दृष्टिकोण से रेलिंग और दीवारों की मरम्मत हो। एक स्थायी व्यवस्था बनाई जाए जिससे भविष्य में यह मार्ग फिर से उपेक्षित न हो।

यह सब होते हुए भी अब तक स्थानीय प्रशासन द्वारा कोई ठोस पहल नहीं की गई है। जनता सवाल पूछ रही है—क्या प्रशासन को तहसील भवन की साख और नागरिकों की सुविधा से कोई सरोकार नहीं।

उतरौला तहसील का यह मुख्य द्वार न केवल एक भौतिक संरचना है, बल्कि यह उस व्यवस्था का प्रतीक है जो नागरिकों को न्याय और सहूलियत देने के लिए बनी थी। इसकी दुर्दशा हमारी प्रशासनिक प्राथमिकताओं पर प्रश्नचिह्न लगा रही है। अब वक्त आ गया है कि जिम्मेदार लोग जागें और इस ऐतिहासिक द्वार को फिर से उसकी गरिमा लौटाएं।

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