लखनऊ: अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस पर जो कि भारत और पूरी दुनिया में श्रमिकों के अधिकारों का प्रतीक दिवस है के अवसर पर राष्ट्रीय लोक दल के राष्ट्रीय सचिव अनुपम मिश्रा ने श्रमिकों के मध्य जाकर उनके संघर्षों को समझा और उनके साथ सुबह की चाय और नाश्ता भी किया।अनुपम मिश्रा ने श्रमिकों को संबोधित करते हुए कहा कि ‘इस दिन का इतिहास संघर्ष का प्रतीक है जिसका उद्देश्य श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा करना, उनके योगदान को सम्मान देना और उन्हें एक बेहतर कार्य का वातावरण देना है।
उन्होंने कहा कि
‘दुनिया भर के मेहनती और समर्पित लोगों को याद करने और मजदूरों के अधिकारों के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए हर साल 1 मई को अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस मनाया जाता है।इसे “मई दिवस” या “श्रम दिवस” के रूप में भी जाना जाता है।
यह दिन श्रमिकों और श्रमिक आंदोलन के योगदान को याद करने के लिए मनाया जाता है।
इस दिन दुनिया भर के मेहनती और समर्पित लोगों की याद किया जाता है। आज दुनिया भर में यह एकजुटता, सामाजिक न्याय और श्रमिकों के अधिकारों के लिए निरंतर संघर्ष का एक सशक्त प्रतीक बन गया है।
आगे बोलते हुए उन्होंने कहा कि इस शोषण और अमानवीय व्यवहार के खिलाफ आवाज उठाते हुए, 1 मई 1886 को शिकागो के हेमार्केट में हजारों मजदूरों ने आंदोलन किया, जिसमें उन्होंने 8 घंटे के कार्यदिवस की मांग की। यह आंदोलन बाद में हिंसक हो गया, लेकिन इसकी गूंज पूरी दुनिया में सुनाई दी। इस ऐतिहासिक घटना के उपलक्ष्य में 1 मई को मजदूर दिवस के रूप में मान्यता दी गई।
भारत में पहली बार मजदूर दिवस 1923 में मनाया गया। इसकी शुरुआत चैन्नई में कम्युनिस्ट नेता सिंगारवेलु चेट्टियार ने की।
मद्रास हाई कोर्ट के सामने पहली बार मजदूर दिवस की सभा हुई। इसमें मजदूरों के हक की मांग उठाई गई। इसी सभा में पहली बार भारत में ‘मई दिवस’ मनाया गया।
हम सब जानते हैं कि कोई भी देश तभी प्रगति कर सकता है, जब उसकी नींव मजबूत हो और यह नींव तैयार करते हैं हमारे श्रमिक।

चाहे वह सड़कें बनाने वाले हों, भवन निर्माण में लगे लोग हों, खेतों में पसीना बहाने वाले किसान हों, फैक्ट्रियों में दिन-रात काम करने वाले कर्मचारी हों, या फिर छोटे दुकानदार और सफाई कर्मचारी हर मजदूर अपने-अपने स्तर पर समाज को आगे ले जाने में जुटा हुआ है।
अनुपम मिश्रा ने वहाँ उपस्थित जन समूह को संबोधित करते हुए कहा कि कभी आपने गौर किया है कि जब आप सुबह उठते हैं, तब तक दूध वाला, सफाईकर्मी, अख़बार वाला सभी अपना काम कर चुके होते हैं। हम जिन सुविधाओं का उपभोग करते हैं – बिजली, पानी, यातायात, भोजन हर एक के पीछे अनगिनत मजदूरों का परिश्रम छुपा होता है।
आगे बोलते हुए अनुपम मिश्रा ने कहा कि हमारे देश में श्रमिकों का योगदान बहुत महत्वपूर्ण रहा है किंतु वास्तविकता यह है कि आज बहुत सारे मज़दूर बुनियादी अधिकारों से वंचित है और कई स्थानों पर काम के घंटों की असमानता है।
कहीं बाल मज़दूरी कराई जाती है तो कहीं उचित पारिश्रमिक नहीं मिलता,स्वास्थ्य बीमा सेवाओं का लाभ नहीं मिलता महिला श्रमिकों के साथ भेदभाव इत्यादि।मज़दूर दिवस केवल एक औपचारिकता भर नहीं है बल्कि यह स्मरण करने का अवसर है कि हर छोटा बड़ा कार्य मूल्यवान है और हर श्रमिक सम्मान का अधिकारी हैं अंत में केदारनाथ जी की कविता आप सभी को समर्पित है
जिन्दगी को
वह गढ़ेंगे जो शिलाएं तोड़ते हैं,
जो भगीरथ नीर की निर्भय शिराएं मोड़ते हैं।
यज्ञ को इस शक्ति-श्रम के
श्रेष्ठतम मैं मानता हूं।’
