धारा लक्ष्य समाचार पत्र
हैदरगढ़ बाराबंकी. केवीके हैदरगढ़ की वैज्ञानिक डॉक्टर रिंकी चौहन ने वर्तमान समय में जायद मूंग और उरद की फसल में लग रहे पीला शिरा मोजेक व चित्रवर्ण रोग के लक्षण और उससे बचाव के उपाय बताएं और किसानों से अपनी फसल की सुरक्षा करने की अपील की।
उन्होंने बताया कि फसलों में लगने वाला यह रोग
विषाणु जनित रोग है जो मूंग और उरद की फसल को नुकसान पहुंचाता है। बताया कि फसल में इस रोग के लगने से पत्तियो पर पीले कलर के धब्बे पड़ जाते हैं और पत्तियों की सिराएं भी पीली पड़ जाती हैं जिससे वह सिकुड़ जाती है, फलियां कम बनने से उत्पादन में भी कमी आ जाती है,जिससे किसानों को इसका नुकसान भुगतना पड़ता है।

और किसानों को अच्छे दाम नहीं मिल पाते हैं। बचाव की जानकारी देते हुए बताया कि उर्द, मूंग की फसल में सायंकाल सिंचाई करे। फसल में नमी बनाए रखना अति आवश्यक है। यह रोग व्हाइटफ्लाई यानी कि सफेद मक्खी के द्वारा फैलता है। खेत में यह रोग दिखाई दे तो प्रभावित पौधे को सावधानीपूर्वक उखाड़ कर जला दे।
या फिर नष्ट कर दे जिससे कि यह रोग और ज्यादा न फैल पाए । इसके अलावा खेत में 5 से 10 प्रौढ मक्खी प्रति पौध की दर से दिखाई दे तो ऑक्सीडीमेटोन मिथाइल 25% की 1 मिली मात्रा प्रति लीटर पानी अथवा डाईमिथोएट 30ई सी 1 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से 600 से 800 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए! इसके अलावा हमें खेत में साफ सफाई बनाए रखना चाहिए ।खरपतवार को नष्ट करना चाहिए
खेत में नीला स्टिकी ट्रैप लगाना चाहिए जिससे कि यह सफेद मक्खी उस ट्रैप में चिपक जाए और यह रोग फैलने से बच जाए इसके अलावा हमें मूंग और उड़द की रोग प्रतिरोधक किस्म का भी चयन करना चाहिए जिसमें यह रोग कम लगता हो या फिर नही लगता हो।
