कैराना। गांव हिंगोखेडी में चल रही राम कथा में रावण वध की कथा सुनाते हुए आचार्य निखिल जी ने कहा कि रामजी कहते है कि मेरा लक्ष्य केवल रावण को पराजित करना या उसका वध मात्र नहीं है। राक्षस तो मारा जाएगा, लेकिन उसके बाद क्या? मैं जनजाग्रति करना चाहता हूँ, उसके बाद जो जीवन लोगों का बने, वह परिपक्व हो, शुद्ध हो, निर्भय हो और वे जी सकें। मैं तो परिवर्तन की क्रांति लाया हूँ। मुझे दोनों काम एक साथ करने हैं।
रामजी कहते हैं-जन-जन में जागृति की, हर प्रकार के व्यक्तियों से मिला हूँ। मैंने छोटे-से-छोटे आदमी के मनोविज्ञान को जाना है और बड़े-से-बड़े व्यक्ति से मिलकर विचारों को संगृहीत कर उसमें से नीति बनाई है। राम केवल शस्त्र से नहीं लड़ रहे, बाहुबल से नहीं लड़ रहे। राम जनबल से युद्ध कर रहे है। जिसके पास जनबल है, उसकी विजय निश्चित और लंबी होती है।
आचार्य जी कहा कि भगवान् पर भरोसा रखिए। भगवान् नाम ही भरोसे का है। हम जो कर सकते हैं, वह तो करते ही हैं, परंतु एक समय ऐसा भी आ जाता है, जब हमारी करने की सीमा समाप्त हो जाती है और जो कुछ होता है, वह ईश्वर की इच्छा से ही होता है। वहाँ हमारी समझदारी भी काम नहीं आती।

रामचरितमानस सिखाती है कि बच्चों को समझाने का बड़े-बूढ़ों का तरीका कैसा होना चाहिए। बड़े-बूढ़े हमें बता देते हैं कि आपके भीतर की कमजोरी को पहचानते हुए अपने आप को तैयार करो और लक्ष्य की ओर बढ़ जाओ। लक्ष्य बड़ा हो, इरादे दृढ हों तो कोई बाधा सफल होने से नहीं रोक सकती।
आज की पुण्यमयी कथा में भाजपा कण्डेला मंडल अध्यक्ष नेत्रपाल सिंह गुर्जर, नरेश चौहान बाबू आदि शामिल रहे।
