कैराना न्यूज: शिव पार्वती विवाह प्रसंग पर बोलते हुए आचार्य निखिल जी ने कहा

कैराना । गांव हिंगोखेडी चौपाल में चल रही श्रीराम कथा में तीसरे दिन शिव पार्वती विवाह प्रसंग पर बोलते हुए आचार्य निखिल जी ने कहा कि पार्वती जी श्रद्धा की प्रतीक हैं ।

और शंकर जी विश्वास के प्रतीक हैं। यह सिद्धान्त है, जब समाज के शाश्वत जीवन मूल्यों के प्रति न श्रद्धा होगी न विश्वास रहेगा तो समाज में संशय, भ्रम और पाखण्ड रूपी तारकासुर ही जन्म लेगा जो सदगुण रूपी देवताओं को परास्त कर देगा।

वैसे तो शिव पार्वती का मिलन शाश्वत है। लेकिन फिर भी जगत कल्याण एवं सद्गुणों की स्थापनार्थ शिव गृहस्थाश्रम में प्रवेश करते है।

चारों आश्रमों में गृहस्थाश्रम सर्वोच्च आश्रम है। यह ब्रह्मचर्य की भी रक्षा करता है।और सन्यास की भी सुरक्षा करता है। कई लोग गृहस्थी से ऊब कर कहने लगते हैं क्या झंझट में पड़ गये? इससे तो अच्छा था साधु हो गये होते। ऐसी बातें वही करते हैं जो गृहस्थी का सदुपयोग नहीं करते, दुरुपयोग करते हैं। सच्चे तप का आश्रम तो गृहस्थाश्रम है।

अगर प्रवृत्ति में भोग है तो साधु बन कर भी शान्त नहीं रह पाओगे। वहाँ भी प्रपंच करोगे। प्रभु का कार्य तो गृहस्थ ही कर पाते हैं। आज भगवान आग्रह कर रहे हैं कि विवाह करें। विवाह भी एक अनुष्ठान है। इस अनुष्ठान से विभूतियाँ प्राप्त होती हैं।

गृहस्थी का कर्तव्य है कि परिवार में हमेशा विवेकपूर्ण व्यवहार करना चाहिए। क्या खाना, क्या पीना, क्या बोलना, कैसा चलना, प्रत्येक व्यवहार विवेकपूर्ण और मुस्कुराते हुए होना चाहिए।

भगवान् शंकर हमें सिखाते हैं कि जब दांपत्य आरंभ करना हो तो मुस्कुराना सीख जाना चाहिए। कई लोग मुस्कुराते भी हैं। उनका मानना होता है कि पहले ही मुस्करा लो, बाद का कोई भरोसा नहीं। पता नहीं पत्नी के आने के बाद मुस्कुराहट बचेगी भी कि नहीं। लेकिन शिवजी कह रहे हैं-मुस्कुराना सीखिए और सदैव मुस्कुराइए।

विवाह से पहले भी मुस्कुराइए, जीवन भर मुस्कुराइए।

आचार्य जी ने शिव पार्वती विवाह प्रसंग का ऐसा मनोहारी वर्णन किया की सभी के नेत्र सजल हो गए। इस दौरान कथा में नेत्र पाल, रोशन लाल क्रान्तिकारी, मदन ,प्रमोद,रामकुमार, विकास फौजी,जोर सिंह शामिल रहे।

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