रेशम विभाग बना सफेद हाथी

करोड़ो रूपये फुकने के बाद भी नही दूर हुई बेरोजगारी नई पहचान दिलाने की हुई थी कभी घोषणा

धारा लक्ष्य समाचार

छुटमलपुर। रेशम उत्पाद प्रोत्साहन योजना भी ठंडे बस्ते में। रेशम विभाग के फार्मो पर लगे ताले बेबशी की बंया करते दाँस्ता।

जिला सहारनपुर के घाढ क्षेत्र के हजारों गरीब किसानों व मजदूरों को रेशम उत्पादन द्वारा आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए रोजगार का सपना दिखाकर करोड़ों रुपए खर्च करके बनाए गए राजकीय रेशम फॉर्म लगता है वर्षों से सूने पड़े हैं विभाग के अधिकारी व कर्मचारी दफ्तर में बैठकर मात्र कागजी आंकड़ों की बाजीगरी का खेल खेल रहे हैं सपा सरकार में मुजफ्फराबाद क्षेत्र से विजयी विधायक जगदीश सिंह राणा को लघु उद्योग हथकरघा निर्यात व प्रोत्साहन एवं रेशम मंत्रालय में कैबिनेट मंत्री बनाया गया उसी समय प्रदेश सरकार ने जगदीश राणा की मांग पर घाढ क्षेत्र के अति पिछड़े लघु किसानों व ग्रामीण मजदूरों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए 11 गांव में करीब 250 एकड़ से अधिक बंजर भूमि का उत्पादन के लिए अधिग्रहण किया था ।

बता दें की कई वर्षों तक इन 11 गांव में बने राजकीय रेशम फॉर्म द्वारा ग्रामीणों को रोजगार के लिए विभाग द्वारा लंबे चौड़े सपना दिखाने का खेल चल रहा था ग्रामीणों को विभाग द्वारा रेशम उत्पादन से जोड़ने के लिए प्रोत्साहन योजना भी शुरू की गई थी योजना से अधिकांश अपने चहेते पात्र लोगों को लाभान्वित किया गया यही वजह रही है आज भी आम आदमी अथवा जरूरतमंद किसान रेशम उत्पादन से जुड़ने के बजाय अपनी पारंपरिक खेती कर पहले की तरह गुजर बसर करने को मजबूर है वर्तमान स्थिति है की घाढ क्षेत्र वासियों के लिए स्थापित किए गए फार्मो पर आजकल सन्नाटा पसरा हुआ है बता दे की तोता टांडा गांव में रेशन विभाग द्वारा करोड़ों रुपए की लागत से राजकीय रेशम धागा उत्पादन एवं वस्त्र निर्माण प्रशिक्षण केंद्र का निर्माण भी किया गया था।

केंद्र को स्थापित करने का उद्देश्य प्रशिक्षण प्राप्त कर युवक युवतियों को स्थाई रोजगार के अवसर मुहैया करना था परंतु क्षेत्र के लोगों का दुर्भाग्य देखिए कि विभाग के भ्रष्ट लापरवाह तंत्र की वजह से प्रशिक्षण केंद्र में लगी मशीन जंग खा रही हैं क्षेत्र के खुशालीपुर गांव में बने 20 एकड़ के रेशम फार्म पर शहतूत के पेड़ तैयार करने के लिए खर्च किए गए लाखों रुपए खर्च करने के बाद भी स्थिति शून्य ही नजर आ रही यही स्थिति गणेशपुर मांडूवाला जहानपुर बैबल नौगांवा आदि गांव में बने फॉर्मो की है क्योंकि देखने में आया है जिस तरह से रेशम फार्मो पर बने फार्म हाउस पर लगे ताले अपनी दाँस्ता बँया करते नजर आ रहे हैं लगता है ।

यह ताले लंबे अरसे से खुलने की बाट जो रहे हैं इस बात से साफ नजर आता है की कर्मचारी लंबे अरसे से यहां नहीं पहुंच पा रहे हैं जिस तरह से फार्मो पर गंदगी के ढेर लगे हैं और ताले जंग खा रहे हैं जो एक जांच का विषय है विश्व से सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार यह भी बताया जा रहा है कि कुछ कर्मचारी तो अधिकारियों की मिले भगत से अपनी हाजिरी लगाकर यदा-कदा अपने गंतव्य की ओर निकल जाते हैं जिन पर अधिकारियों की पूरी कृपया दृष्टि बनी हुई है अगर इन कर्मचारियों की जांच कर कॉल डिटेल निकलवाई जाए या लाइव लोकेशन निकलवाई जाए तो साफ-साफ गोलमाल खुलकर सामने आ सकता है अब देखना है क्या अधिकारी इस मामले पर कोई संज्ञान लेंगे या इन कर्मचारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई हो पाएगी यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।

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