सुनसान पडे फार्मो पर शराबियो की हो रही पौबारह खुब टकरा रहे है जाम से जाम
रामकुमार गौतम
छुटमलपुर यूपी। रेशम विभाग के अधिकारियों ने ही कर दिया पूर्व मंत्री स्वर्गीय जगदीश सिंह राणा के सपनो का ड्रीम प्रोजेक्ट फेल
करोडों रूपये खर्च करने के बाद भी नाम मात्र को हो रहा उत्पादन। तोता टांडा मे हथकरघा उधोग की मशीनें भी खा रही जंग जमी पडी है धूल

भले ही सरकार रेशम उधोग पर भारी पैसा खर्च कर रही हो रेशम विभाग के बने फार्मो का यूं तो मैंटेनेंस का पैसा भी भारी मात्रा मे आता होगा लेकिन अगर इन फार्मो की इमारतों को देखा जाये तो लगता नही इन पर मैंटेनेंस का पैसा लगा हो क्योंकि हो सकता है कागजो मे ही सब कार्य पुरा हो गया हो जिस कारण ये इमारतें जरजर हालत मे खडी अपना दर्द बंया कर रही है क्योंकि रेशम विभाग के अधिकारी यदा कदा ही कभी रेशम विभाग के फार्मो पर जाकर निरिक्षण करते होगे वर्ना ज्यादा तर समय ओफिस मे बैठकर ऐसी की ही हवा लेकर सब कार्य पुरा हो जाता है क्योंकि अगर वो फार्मो का मुआयना करते तो इन इमारतों की बदहाली के दर्द को जरूर समझते जिन इमारतों के ताले भी शायद लम्बे अर्से से नही खुले है ।
और ताले भी जंग खा रहे है वहीं विशवसनीय शूत्रो से मिली जानकारी मे तो ये भी आया है अधिकारियों के दुवारा एक चर्तुथक्रमचारी के दुवारा बाबू का काम भी लिया जा रहा है और चतुर्थ क्रमचारी को यूं तो एक फार्म का चार्ज भी दे रखा है वहीं बताया जा रहा है एक अनुरक्ष रेशम उत्पादक क्रमचारी ऐसा भी है।
जो सुबह को अपनी हाजरी लगाकर अपने किए बिजनेस पर चला जाता है और शाम को फिर हाजरी लगाकर अपने घर पहुंच जाता है अब अगर इन क्रमचारियों की लाईव लोकेशन निकलवाई जाये तो दूध का दूध और पानी का पानी साफ हो जायेगा वही सोचने वाली बात है ओफिस के अन्दर पहले से ही मौजूद स्टेनो और बाबू मौजूद है।
तो फिर अधिकारी इस चतुर्थ श्रेणी के क्रमचारी से बाबू का काम क्यों ले रहे जिस बात से संदेह भी होता है शायद स्टेनो और बाबू ने किसी भी अवैध रूप से कार्य करने से मना कर दिया हो और फिर ये काम इस क्रमचारी से कराया जा रहा हो जो एक जाँच का विषय है वर्ना स्टेनो और बाबू के रहते चतुर्थ श्रेणी के क्रमचारी से ये काम क्यों कराया जा रहा है।
