बरसात की आस में मेंथा किसान
बाराबंकी। अगर सही समय पर बारिश हो जाए तो इस मौसम में किसानो को कम लागत लगाकर ज्यादा मुनाफा कमाते सकते है। मालूम हो कि फसल कटाई के बाद किसान खाली पड़े खेत में पिपरमेंट यानि मेंथा की खेती तैयार करते है।
छह से आठ हजार रुपये की लागत में तैयार होने वाली इस औषधीय फसल से छह से सात गुना फायदा किसान उठा उठाते है। मुनाफे को देखते हुए इस खेती की ओर जिले में किसानों का रुझान भी तेजी के साथ बढ़ गया है।
पिपरमेंट के तेल से विभिन्न उत्पाद तैयार किए जाते हैं, लेकिन सरकार की ओर से मेंथा की खेती करने वाले किसानों को किसी तरह का लाभ नहीं दिया जाता। जिले के किसान हमेशा से परंपरागत खेती करते चले आ रहे हैं।

बदलते जलवायु के बीच कभी किसानों को फायदा होता है तो कभी नुकसान। ऐसे में कृषकों ने आर्थिक स्थिति मजबूत करने के उद्देश्य से विभिन्न प्रकार की खेती करना भी शुरू कर दिया है। उनमें से एक है औषधीय खेती पिपरमेंट की। किसानों का कहना है कि छह से आठ हजार रुपये खर्च करने के बाद महज 60 दिन इंतजार करना पड़ता है।
फसल बोआई से लेकर कटाई तक पानी की मात्रा महज खेत में नमी के बराबर ही रखना पड़ता है। खेत में पानी का भराव नहीं होना चाहिए। दो माह बीतते ही तैयार हुई फसल से 30 से 40 हजार रुपये का फायदा होता है। बहरहाल इस समय जिले के काफी किसान इस औषधीय खेती की तरफ रुख कर चुके हैं।
बाराबंकी के बंकी गदिया क्षेत्र गांव में किसान बड़े पैमाने पर खेती कर रहे हैं। वहीं इस सम्बन्ध में स्थानीय किसानों का कहना है कि अगर समय से बारिश हो गई तो फायदा होगा नहीं तो नुकसान हो जाएगा।
