मनरेगा से बना उद्यान हुआ बदहाल
बाराबंकी। सिद्धौर ब्लॉक क्षेत्र के ममरखापुर में करीब तीन साल पहले मनरेगा योजना के तहत उद्यान का निर्माण कराया गया था। ग्रामीणों को सुबह टहलने और सैर-सपाटा करने की सुविधा मिल सके। लेकिन आज यह उद्यान पूरी तरह से उपेक्षित स्थिति में है। विदेशी फूल और पौधे अब झाड़ियों में बदल गए हैं।
इन झाड़ियों की शाखाएं इंटरलॉकिंग तक फैल गई हैं। बैठने को लगी बेंचों के आसपास करीब एक फीट लंबी घास उग आई है। जलाए गए राख के ढेर भी लगे हैं। इससे जंगली जीव खतरा भी बना हुआ है। उद्यान में तीन जगह जलाशय बनाए गए दो गोलाकार और एक चौकोर जलाशय स्थिति भी खराब है।
चौकोर जलाशय में लगा फव्वारा बंद है। जो अब क्षतिग्रस्त है। तीनों जलाशयों में गंदा दूषित पानी भरा है। जिससे दुर्गंध आ रही है। इंटरलॉकिंग भी धंसकर क्षतिग्रस्त हो गई है। इतना ही नहीं परिसर में लगे सोलर लाइट भी देर रात तक रोशनी नहीं देते है।

रखरखाव के अभाव में लाखों रुपए की लागत से बना यह उद्यान अब किसी के काम नहीं आ रहा है। न तो युवा, न बुजुर्ग और न ही महिलाएं आती है। केयरटेकर पृथ्वी पाल वर्मा के अनुसार वर्ष 2022 में नींव पड़ी थी। उस समय वह देखरेख कर रहे हैं। इसके एवज में उन्हें मनरेगा के दैनिक मजदूरी मिलती है।
उन्होंने बताया कि परिसर में पेड़ों की सिंचाई के व्यवस्था नहीं है। पानी टंकी के बिछी पाइप लाइन से व बाल्टी सहारे पौधों की सिंचाई होती है। इनकी कटाई वह छाती के लिए कैंची आदि कमी है।
सचिव प्रमोद कुमार वर्मा ने बताया कि उन्हें ऐसी जानकारी नहीं है। साथी उद्यान के रखरखाव के लिए मनरेगा योजना के तहत अलग से कोई बजट भी निर्धारित नहीं है।
