Barabanki News: जीरो टॉरलेश नीति पर लग रहा पलीता पंचायत में हो रहा मनरेगा कार्य में जमकर गोल मॉल

कागज पर महिला की हाजिरी चढ़ाई जाती है जमीन पर रहता है सन्नाटा

सिरौलीगौसपुर बाराबंकी की ग्राम पंचायत ददरौली भवानीपुर में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के अंतर्गत चल रहे कार्यों में गम्भीर अनियमितताओं और भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। वायरल हुई एक फोटो और मस्टर रोल की ऑनलाइन जांच में चौंकाने वाली सच्चाई सामने आई है, जिससे ग्रामीणों में रोष है और प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं।

20मई 2025 का मस्टर रोल बना गवाह

हमारी पड़ताल के दौरान 20मई 2025 को ग्राम पंचायत ददरौली भवानीपुर में दो मस्टर रोल (क्रमांक 782 और 783) पर चकबंदी निर्माण कार्य दर्शाया गया। इन मस्टर रोल्स पर दर्ज मजदूरों की उपस्थिति और अपलोड की गई फोटो में बड़ा अंतर देखा गया।

दोनों मस्टर रोल्स पर लगभग एक जैसी तस्वीरें अपलोड की गई हैं, जिनमें खड़े लोग मजदूर नहीं, बल्कि ‘सिर्फ फोटो खिंचवाने के लिए बुलाए गए लोग’ प्रतीत हो रहे हैं। जिनके हाव-भाव से साफ झलकता है कि वे निर्माण कार्य में संलग्न नहीं हैं।

महिला हाजिरी सिर्फ कागजों तक सीमित

सरकार की मंशा के अनुसार महिलाओं को प्राथमिकता के आधार पर रोजगार मुहैया कराना चाहिए, लेकिन वास्तविकता इससे कोसों दूर है। मस्टर रोल के अनुसार उस दिन कम से कम एक महिला की उपस्थिति दर्शाई गई है, लेकिन वायरल फोटो में एक भी महिला नहीं दिखती। यह सीधा संकेत देता है कि महिला मजदूरों की हाजिरी में फर्जीवाड़ा किया गया है।

ब्लॉक की महिला खंड विकास अधिकारी की निष्क्रियता पर उठे सवाल

ब्लॉक सिरौलीगौसपुर की खंड विकास अधिकारी आदिति श्रीवास्तव, जो स्वयं एक महिला हैं, उनके कार्यक्षेत्र में महिलाओं के अधिकारों की ऐसी अनदेखी और फर्जीवाड़ा प्रशासनिक कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह लगाता है। सवाल यह है कि आखिर जब ऑनलाइन हाजिरी और फोटो अपलोड जैसी पारदर्शी व्यवस्थाएं लागू की गई हैं, तो फिर ऐसी गड़बड़ियां कैसे हो रही हैं

क्या जिला अधिकारी लेंगे संज्ञान?

उत्तर प्रदेश सरकार की ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति के बावजूद, ग्राम प्रधान और ग्राम सचिव जैसे जिम्मेदार पदाधिकारी इन पारदर्शिता उपायों का तोड़ निकाल चुके हैं। जब एक दिन का डेटा ही भ्रष्टाचार की कहानी बयान करता हो, तो अन्य दिनों की स्थिति का अंदाजा लगाना कठिन नहीं है। अब निगाहें तेजतर्रार जिला अधिकारी शशांक त्रिपाठी पर हैं कि वे इस गंभीर विषय पर क्या कार्रवाई करते हैं।

यह रिपोर्ट केवल एक दिन की पड़ताल का नतीजा है। यदि संपूर्ण मस्टर रोल और अन्य पंचायतों की भी जांच की जाए, तो और भी बड़े घोटाले उजागर हो सकते हैं। यह मामला न केवल एक पंचायत की लापरवाही को दर्शाता है, बल्कि यह पूरे सिस्टम की जवाबदेही और पारदर्शिता पर भी सवाल खड़े करता है।

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